कराची, दो अप्रैल (भाषा) पाकिस्तान की इमरान खान सरकार द्वारा भारत से कपास के आयात के प्रस्ताव को खारिज किए जाने से कपड़ा उद्योग निराश है। मीडिया की खबरों के अनुसार कपड़ा उद्योग पहले ही काफी संघर्ष कर रहा है। कपड़ा उद्योग का कहना है कि कपास का आयात आज समय की जरूरत है।
प्रधानमंत्री इमरान खान की अगुवाई वाले मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को भारत से कपास आयात के उच्चस्तरीय समिति के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने दोहराया कि जब तक भारत जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल नहीं करता है, तब तक उसके साथ हमारे संबंध सामान्य नहीं हो सकते हैं।
पाकिस्तान के अपैरल फोरम के चेयरमैन जावेद बिलवानी के हवाले से ‘द डॉन’ अखबार ने कहा है कि कैबिनेट के फैसले से कपड़ा निर्यात उद्योग निराश है।
कोविड-19 महामारी की वजह से पहले से दबाव झेल रहा कपड़ा उद्योग भारत सहित दुनिया के अन्य हिस्सों से सूती धागे के शुल्क-मुक्त आयात की मांग कर रहा है।
बिलवानी ने वाणिज्य सलाहकार अब्दुल रजाक दाऊद के भारत से कपास और सूची धागे के आयात की सिफारिश को समय की जरूरत करार दिया। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल को इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस कदम से विदेशी खरीदारों के बीच यह नकारात्मक संदेश जाएगा कि देश में सूती धागा उपलब्ध नहीं है। बिलवाली ने कहा कि कैबिनेट के फैसले के बाद सूती धागे के दाम बढ़ गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि सरकार भारत से आयात की अनुमति नहीं देना चाहती, तो उसे देश में सूती धागे की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि चालू साल में पाकिस्तान में कपास उत्पादन में करीब 40 प्रतिशत की गिरावट आएगी। यदि 2014-15 के 1.5 करोड़ गांठ के उत्पादन से तुलना करें, तो यह गिरावट 50 प्रतिशत बैठेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार को कपास और सूती धागे के निर्यात पर कम से कम छह महीने प्रतिबंध लगाना चाहिए।
‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ से बातचीत में पाकिस्तान के रेडिमेड गारमेंट्स मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सोर्ट्स एसोसिएशन के संरक्षक-प्रमुख इजाज खोखर ने कहा कि सरकार के फैसला पलटने से पूरा मूल्य वर्धित क्षेत्र प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि हम मंत्रिमंडल के फैसले के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं।
भाषा अजय अजय मनोहर
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