मुंबई, चार सितंबर (भाषा) वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद की उप-समिति ने बृहस्पतिवार को प्रमुख वैश्विक और घरेलू वृहद-आर्थिक एवं वित्तीय क्षेत्र की स्थिति और वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव डालने वाले विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद की उप-समिति (एफएसडीसी-एससी) की बैठक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुई।
आरबीआई ने एक बयान में कहा कि उप-समिति ने केवाईसी (अपने ग्राहक को जानों) प्रक्रियाओं को सरल बनाने और वित्तीय समावेश के लिए विशेष अभियान सहित कई अंतर-नियामक मामलों में प्रगति की समीक्षा की।
आरबीआई ने कहा, ‘‘एफएसडीसी-एससी ने अंतर-नियामकीय समन्वय के माध्यम से वित्तीय क्षेत्र की मजबूती में सुधार पर अपना ध्यान केंद्रित करने और बढ़ती व्यापार अनिश्चितता और वैश्विक स्तर पर लगातार टकराव सहित उभरती चुनौतियों पर कड़ी नजर रखने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।’’
समिति ने वित्तीय समावेश के लिए राष्ट्रीय रणनीति (एनएसएफआई) 2025-30 पर भी विचार-विमर्श किया।
इसने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में राज्य-स्तरीय समन्वय समितियों के कामकाज और विभिन्न तकनीकी समूहों की गतिविधियों की भी समीक्षा की।
बैठक में सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय, इरडा के प्रमुख अजय सेठ, पीएफआडीए चेयरपर्सन एस रमन और भारतीय दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के प्रमुख रवि मित्तल भी शामिल हुए।
इसके अलावा, वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागराजू, मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन और वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद की सचिव चंचल सरकार ने भी बैठक में भाग लिया।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव, टी रबी शंकर, स्वामीनाथन जे और पूनम गुप्ता, और कार्यकारी निदेशक ए आर जोशी भी बैठक में शामिल थे।
भाषा रमण प्रेम
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