संसदीय समिति ने आईएलएफएस जैसा संकट रोकने के लिये व्यवस्था की पूर्ण रूप से समीक्षा का सुझाव दिया

संसदीय समिति ने आईएलएफएस जैसा संकट रोकने के लिये व्यवस्था की पूर्ण रूप से समीक्षा का सुझाव दिया

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  • Publish Date - March 16, 2021 / 05:28 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:26 PM IST

नयी दिल्ली, 16 मार्च (भाषा) संसद की एक समिति ने मंगलवार को महत्वूर्ण इकाइयों में आईएल एंड एफएस जैसे संकटों को समय रहते रोकने के लिये भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा व्यवस्था की पूर्ण रूप से समीक्षा का सुझाव दिया।

जयंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्त पर संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आईएल एंड एफएस के समाधान का मामला राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष विचाराधीन है।

इसमें कहा गया है, ‘‘…समाधान प्रक्रिया में देरी से न केवल बैंकों तथा अन्य कर्जदाताओं के मूल्य में कमी आती है बल्कि इससे बढ़ कर इससे व्यवस्था में खामी को समझना भी मुश्किल बना रहता है।’’

आईएल एंड एफएस में वित्तीय संकट उस समय सामने आया जब समूह की कुछ इकाइयों ने कर्ज भुगतान में चूक की। सरकार ने अक्टूबर 2018 में इसके बोर्ड को हटाकर नये बोर्ड का गठन किया।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘समिति की इच्छा है कि रिजर्व बैंक को पूर्ण रूप से व्यवस्था की समीक्षा करनी चाहिए ताकि प्रणाली के हिसाब से महत्वपूर्ण इकाइयों में इस प्रकार की घटनाओं को समय रहते रोका जा सके।’’

समिति ने यह भी कहा कि जरूरी क्षमता और विशेषज्ञता रखने वाले स्टार्टअप को क्रेडिट रेटिंग उद्योग से जुड़ने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा और साख निर्धारण से जुड़े उद्योग में जो आत्मसंतुष्टि है, वह खत्म होगी।’’

रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि आरबीआई और सेबी ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की संयुक्त निरीक्षण का काम शुरू किया है। इसमें केंद्रीय बैंक की भूमिका बैंक कर्ज रेटिंग पर है जो साख निर्धारित करने वाली एजेंसियां देती हैं।

इसमें कहा गया है कि नियामकों को सतर्क और पूरी तरह से मुस्तैद रहना चाहिए तथा नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना चाहिए।

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर