बजट 2021-22 पर संसद की लगी मुहर; सीतारमण ने कहा, भारत की वित्तीय साख को खतरा नहीं

बजट 2021-22 पर संसद की लगी मुहर; सीतारमण ने कहा, भारत की वित्तीय साख को खतरा नहीं

बजट 2021-22  पर संसद की लगी मुहर; सीतारमण ने कहा, भारत की वित्तीय साख को खतरा नहीं
Modified Date: November 29, 2022 / 08:19 pm IST
Published Date: March 24, 2021 4:17 pm IST

नई दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को विश्वास व्यक्त किया कि उच्च राजकोषीय घाटे के चलते देश की वित्तीय साख में गिरावट का कोई जोखिम नहीं है। उन्होंने वित्त विधेयक 2021 पर राज्य सभा में चर्चा का जवाब देते हुए यह भी कहा कि 2014 में पूर्व संप्रग शासन से विरासत में जो आर्थिक समस्याएं मिली थी उसे नरेंद्र मोदी सरकार ने ठीक किया है। वित्त मंत्री के जवाब के बाद राज्यसभा ने वित्त विधेयक 2021 को बिना किसी संशोधन, सुझाव के लोकसभा को लौटा दिया। इसी के साथ संसद से आम बजट को मंजूरी मिलने की प्रक्रिया पूरी हो गयी है।

पढ़ें- पूर्व विधायक गुलाब सिंह का निधन, लंबे समय से किडनी की बीमारी से थे पीड़ित, जिला अस्पताल में ली आखिरी सांस

आगामी पहली अप्रैल से शुरू अगले वित्त वर्ष के लिये बजट में कर संबंधी प्रस्तावों से जुड़े वित्त विधेयक 2021 को लोकसभा मंगलवार को सरकार की ओर से प्रस्तुत किए गए कुछ संसोधनों के साथ मंजूर कर चुकी है। विधेयक पर उच्च सदन में चर्चा हुई और उसके बाद बदलाव को लेकर बिना किसी सुझाव के उसे लोकसभा को भेज दिया गया। चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये अतिरिक्त खर्च की वजह से राजकोषीय घाटा बढ़ने के बावजूद देश की वित्तीय साख में कमी किये जाने का कोई जोखिम नहीं देख रही है।

 ⁠

पढ़ें- आज से बंद रहेंगे सिनेमा घर, क्लब, रेस्टोरेंट, स्विम…

उन्होंने कहा, ‘‘भारत की ( सरकार की ऋण प्रतिभूतियों की) साख निवेश स्तर की है और हमें उच्च घाटे के कारण इसमें किसी प्रकार का बदलाव या उसमें (वैश्विक रेटिंग एजेंसियों द्वारा) कमी किये जाने कोई मामला नजर नहीं आता।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि उच्च घाटे का कारण अधिक खर्च और कर्ज में वृद्धि है।सीतारमण ने कहा कि अर्थशास्त्रियों और रेटिंग एजेंसियों की राय है कि सरकार को महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पटरी पर वापस लाने के लिये खर्च करने की जरूरत है और देश ने उस सलाह को माना है।

पढ़ें- असम में पहले चरण के चुनाव प्रचार का आज अंतिम दिन, म…

हालांकि पश्चिम बंगाल में केंद्र सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के साथ नोकझोंक के कारण सीतारमण अपना पूरा भाषण नहीं पढ़ पायीं। टीएमसी सदस्य डोला सेन की बातों का वित्त मंत्री ने बांग्ला में अपने जवाब में कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने किसानों के नाम नहीं दिये जिससे उन्हें पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ नहीं मिला। राज्य सरकार ने वहां के लोगों को केंद्र की स्वास्थ्य योजना का लाभ भी नहीं लेने दिया।

पढ़ें- डबल मर्डर : दो बदमाशों की चाकू से गोदकर हत्या, दोस्…

उनकी इस बात का तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने विरोध किया। सेन ने कहा, ‘‘हमने कभी इनकार नहीं किया…वह गुमराह कर रही हैं।’’ पश्चिम बंगाल में आसन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा और टीएमसी के बीच जारी जुबानी जंग के बीच सेन ने बजट प्रस्तावों में कमियों को उठाया और जोर से ‘लज्जा’, ‘लज्जा’ कहा। सीतारमण ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार बंगाल में गरीब किसानों को 10,000 करोड़ रुपये देना चाहती है लेकिन राज्य सरकार इसकी अनुमति नहीं दे रही है।’’

पढ़ें- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आज असम दौरा, पलासब..

उन्होंने उसी भाषा का उपयोग करते हुए कहा, ‘‘उन्होंने (सेन) लज्जा, लज्जा शब्द का उपयोग किया लेकिन मैं कहना चाहती हूं कि क्या किसानों को नकद राशि नहीं देने देना सही है? लज्जा लज्जा।’’ वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार आयुष्मान भारत योजना भी लागू करना चाहती है ताकि बंगाल के गरीब लोगों को इसका लाभ मिले लेकिन राज्य सरकार इसका अनुमति नहीं दे रही। क्या यह गरीब लोगों के लिये सही है? लज्जा, लज्जा।’’ तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने इसका विरोध किया। इस पर राज्यसभा के उप सभापित हरिवंश ने मंत्री से अपनी बातें खत्म करने और वित्त विधेयक को मतदान के लिये रखने को कहा। वित्त विधेयक और सरकारी संशोधनों को ध्वनि मत से मंजूरी दी गयी और उसे वापस लौटा दिया गया।

पढ़ें- बस स्टैंड पर देर रात भड़की आग में 7 बसें जलकर हुई ख…

वित्त विधेयक, धन विधेयक की श्रेणी में आता है। संविधान के तहत धन विधेयक को केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है। लोकसभा उपस्थित सदस्यों के साधारण बहुमत से इसे पारित कर सकता हैं उसके बाद इसे विचार के लिये राज्यसभा भेजा जाता है। राज्यसभा संशोधन की सिफारिशों कर सकता है, लेकिन लोकसभा को यह अधिकार है कि वह उसे खारिज कर दे। अगर सिफारिशें 14 दिनों के भीतर नहीं दी जाती हैं, विधेयक को संसद द्वारा पारित मान लिया जाता है। इससे पहले, दोनों सदनों ने कुछ जरूरी खर्चों के लिये विनियोग विधेयक को मंजूरी दे दी थी। राज्यसभा के वित्त विधेयक 2021 को चर्चा के बाद लोकसभा को लौटा देने के साथ संसद से आम बजट को मंजूरी मिलने की प्रक्रिया पूरी हो गयी है।

पढ़ें- दो भाइयों के विवाद को सुलझाने गए उप निरीक्षक को मार…

चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि सरकार बेहतर तरीके से अर्थव्यवस्था का प्रबंधन कर रही है और इसके लिये उन्होंने निम्न मुद्रास्फीति, उच्च जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद), रिकार्ड विदेशी निवेश और निम्न राजकोषीय घाटे का हवाला दिया। सीतारमण ने अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन को लेकर लेकर पूर्व कांग्रेस नीति संप्रग सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि उनकी गड़बड़ियों को मोदी सरकार ने दुरूस्त किया। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार ने 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट को लेकर जो कदम उठाये थे, उससे मुद्रास्फीति बढ़ी तथा बड़े पैमाने पर धन की निकासी हुई एवं रुपये की विनिमय दर 2013 के टैपर टैन्ट्रम यानी (अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा अचानक सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद घटाने की बात शुरू किए जाने पर) लुढ़क गयी थी।

पढ़ें- पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव: दूसरे चरण में किस्मत आ…

सीतारमण ने कहा कि 2014 से 2019 के दौरान औसत जीडीपी वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रही जो संप्रग शासन में 2009 से 2014 के दौरान 6.7 प्रतिशत थी। इसी प्रकार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति संप्रग शासन के पांच साल के दौरान 10.3 प्रतिशत रही जबकि 2014 से 2019 के दौरान यह 4.8 प्रतिशत थी। वित्त मंत्री ने कहा कि राजकोषीय घाटा भी 2014-19 के दौरान जीडीपी का 3.65 प्रतिशत रहा जो इससे पिछले पांच साल में 5.3 प्रतिशत था।

पढ़ें- असमिया दंगल…छत्तीसगढ़िया दांव! छत्तीसगढ़िया म…

विदेशी मुद्रा भंडार 2014 में 303 अरब डॉलर से बढ़कर 411.9 अरब डॉलर पहुंच गया। फंसा कर्ज या एनपीए मार्च 2020 में घटकर 8.99 प्रतिशत पर आ गया। उन्होंने कहा, ‘‘जब अरूण जेटली (मोदी सरकार के पहले वित्त मंत्री) 2014 में आये भारत पांच नाजुक अर्थव्यवस्था वाले देशों में से एक था। अब यह तीव्र वृद्धि वाला देश बन गया है। आपने संकट पैदा की, जेटली जी और प्रधानमंत्री मोदी ने उसे संभाला।’’ वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि 2008 के वित्तीय संकट की तुलना पिछले साल के कोरोना संकट से नहीं की जा सकती।

 

 

 

 

 

 

 

 


लेखक के बारे में