बैंक खाते को धोखाधड़ी बताने के पहले व्यक्तिगत सुनवाई जरूरी नहींः न्यायालय

बैंक खाते को धोखाधड़ी बताने के पहले व्यक्तिगत सुनवाई जरूरी नहींः न्यायालय

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  • Publish Date - May 12, 2023 / 10:11 PM IST,
    Updated On - May 12, 2023 / 10:11 PM IST

नयी दिल्ली, 12 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने 27 मार्च के अपने निर्णय पर स्थिति स्पष्ट करते हुए शुक्रवार को कहा कि उसने बैंकों को कर्जदार के खाते को ‘धोखाधड़ी’ घोषित करने के पहले व्यक्तिगत तौर पर उसका पक्ष सुनने का निर्देश नहीं दिया था।

न्यायालय ने यह स्पष्टीकरण भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की तरफ से 27 मार्च के आदेश में मौजूद दो बिंदुओं पर दिया है।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की एक पीठ ने कहा, ‘हमने कभी नहीं कहा कि कर्जदारों को व्यक्तिगत रूप से पक्ष रखने का मौका दिया जाए। हमने कहा था कि उन्हें समुचित नोटिस देकर अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाए।’

अपने पिछले आदेश को पिछली तारीख से लागू किए जाने के मुद्दे पर पीठ ने कहा कि इस बिंदु पर एसबीआई को निर्णय के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी होगी।

मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने गत 27 मार्च को दिए अपने एक फैसले में कहा था कि किसी खाते को धोखाधड़ी बताने पर न सिर्फ उसकी जानकारी जांच एजेंसियों को देनी होगी बल्कि कर्जदार को दंडात्मक एवं दीवानी मामलों का भी सामना करना होगा।

भाषा प्रेम

प्रेम रमण

रमण