नयी दिल्ली, 30 नवंबर (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमतों में दैनिक आधार पर संशोधन तभी शुरू करेंगी, जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 80 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से नीचे स्थिर हो जाएंगी। उद्योग के अधिकारियों ने यह बात कही।
तीन सरकारी ईंधन खुदरा विक्रेताओं – इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने लगातार 20वें महीने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को स्थिर रखा है। इन तीनों कंपनियों के पास संयुक्त रूप से लगभग 90 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है।
वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते इस कंपनियों को भारी नुकसान हुआ। हालांकि, इससे पहले कीमतों में नरमी के कारण इन कंपनियों ने मुनाफा भी कमाया।
एक अधिकारी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में काफी अस्थिरता है और कीमतों में बेतहाशा उतार-चढ़ाव हो रहा है।
उन्होंने कहा, ”तेल कंपनियां इस समय कीमतों में एक रुपये प्रति लीटर की कटौती कर सकती हैं और ऐसा करने पर हर कोई तारीफ करेगा। लेकिन, जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल कीमतें बढ़ेंगी, तो क्या उन्हें दरें बढ़ाने की अनुमति दी जाएगी, इस पर संदेह है।”
एक अन्य अधिकारी ने कहा, ”किसी दिन डीजल पर मुनाफा होता है, लेकिन किसी दिन नुकसान। कोई तय रुझान नहीं है।”
अधिकारी ने कहा कि तेल विपणन कंपनियां कीमतों में दैनिक आधार पर संशोधन तभी शुरू करेंगी, जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 80 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से नीचे स्थिर हो जाएंगी।
पिछले साल छह अप्रैल से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
भाषा पाण्डेय रमण
रमण
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