राजस्थान सरकार ने बोर्ड, निगमों को पुरानी पेंशन योजना से न‍िकलने की अनुमति दी

राजस्थान सरकार ने बोर्ड, निगमों को पुरानी पेंशन योजना से न‍िकलने की अनुमति दी

राजस्थान सरकार ने बोर्ड, निगमों को पुरानी पेंशन योजना से न‍िकलने की अनुमति दी
Modified Date: October 10, 2025 / 10:09 pm IST
Published Date: October 10, 2025 10:09 pm IST

जयपुर, 10 अक्टूबर (भाषा) राजस्थान सरकार ने एक आदेश जारी कर राज्य के बोर्ड और निगमों को पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) से बाहर निकलने और यदि वे चाहें तो नई पेंशन योजना को अपनाने की अनुमति दे दी है।

वित्त विभाग के एक आदेश में कहा गया है कि यदि बोर्ड और निगम स्वतंत्र रूप से पेंशन निधि का प्रबंधन करने में असमर्थ हैं, तो वे पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) से बाहर निकल सकते हैं। हालांकि अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि पहले से ही ओपीएस के दायरे में आए कर्मचारियों को उनके लाभ मिलते रहेंगे।

वित्त सचिव नवीन जैन ने कहा, ‘‘आदेश बिल्कुल स्पष्ट है। यह बोर्ड, निगम और स्वायत्त निकायों के लिए है। यह उन संस्थानों के लिए है जो ओपीएस प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं। जो कर्मचारी ओपीएस का लाभ प्राप्त कर रहे हैं उन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।’’

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अधिकारियों ने कहा कि यह कदम पिछली गहलोत सरकार की नीति से महत्वपूर्ण बदलाव है जिसमें ओपीएस चुनने के बाद इसे वापस लेने का विकल्प नहीं था। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली वर्तमान भाजपा सरकार ने इससे पहले विधानसभा को सूचित किया था कि ओपीएस को बंद करने की उसकी कोई योजना नहीं है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, विभिन्न राज्य बोर्डों और निगमों में लगभग 1.25 लाख पेंशनभोगी हैं। जयपुर विकास प्राधिकरण, राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम लिमिटेड, विपणन बोर्ड, सरस डेयरी, राजस्थान राज्य वित्त निगम, रोडवेज और बिजली निगमों सहित कई संस्थाओं ने पहले ही अपने पेंशन फंड स्थापित कर लिए हैं।

उद्यम ब्यूरो, तिलम महासंघ और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति निगम जैसे विभागों ने पहले ही ओपीएस से हटने की अनुमति के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किए थे जबकि राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) जैसे अन्य विभाग पेंशन देनदारियों के लिए सरकारी धन की मांग कर रहे हैं।

हालांकि, नए आदेश का कर्मचारी संघों ने कड़ा विरोध किया है।

अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने मौजूदा सरकार पर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई ओपीएस को वापस लेने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ‘कर्मचारी इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर आदेश वापस नहीं लिया गया, तो हम आंदोलन शुरू करेंगे।’ सिंह ने दावा किया कि यह निर्णय वर्तमान में केवल बोर्डों, आयोगों और निगमों पर लागू होता है जिससे लगभग एक लाख कर्मचारी प्रभावित होंगे। लेकिन उन्होंने दावा किया कि यह सरकारी कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना के संभावित कार्यान्वयन से पहले ‘परीक्षणात्मक कदम’ है।

उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई एकीकृत पेंशन योजना कर्मचारियों को आकर्षित करने में विफल रही है, केवल लगभग एक प्रतिशत ने ही इसे चुना है।

राजस्थान वित्त निगम पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नरसी लाल मीणा ने कहा, ‘पेंशन पर वित्त विभाग के आदेश तानाशाही का प्रतीक हैं और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पेंशन सेवानिवृत्त लोगों का मौलिक अधिकार और आजीविका का मुख्य साधन है। अगर पेंशन रोकी गई, तो सेवानिवृत्त कर्मचारी विरोध करेंगे।’

उन्होंने कहा कि जहां तक राजस्थान वित्त निगम की वित्तीय स्थिति का सवाल है, यह अपनी स्थापना के बाद से लगातार मुनाफा कमा रहा है और इसके पास अरबों की संपत्ति है।

आरटीडीसी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष तेज सिंह राठौड़ ने कहा, ‘‘सरकार सभी कर्मचारियों को पेंशन देती है तो इसे केवल कुछ ही कर्मचारियों तक सीमित क्यों रखा जाए? बोर्ड और निगम राज्य के लिए काम करते हैं, निजी क्षेत्र के लिए नहीं। इस तरह का भेदभाव अस्वीकार्य है।’

भाषा पृथ्वी राजकुमार रमण

रमण


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