रिलायंस कैपिटल के कर्जदाताओं ने आईआईएचएल पर देरी करने की रणनीति अपनाने का आरोप लगाया

रिलायंस कैपिटल के कर्जदाताओं ने आईआईएचएल पर देरी करने की रणनीति अपनाने का आरोप लगाया

रिलायंस कैपिटल के कर्जदाताओं ने आईआईएचएल पर देरी करने की रणनीति अपनाने का आरोप लगाया
Modified Date: September 1, 2024 / 05:00 pm IST
Published Date: September 1, 2024 5:00 pm IST

नयी दिल्ली, एक सितंबर (भाषा) कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (आरसीएपी) के कर्जदाताओं ने आरोप लगाया है कि हिंदुजा समूह की कंपनी आईआईएचएल देरी करने की रणनीति अपना रही है, जिसके चलते समाधान योजना को लागू करने में भी विलम्ब हो रहा है।

मॉरीशस स्थित इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (आईआईएचएल) रिलायंस कैपिटल के अधिग्रहण के लिए सफल बोलीदाता के रूप में उभरी थी।

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एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने 27 फरवरी, 2024 को कर्ज में डूबी वित्तीय कंपनी के लिए आईआईएचएल की 9,861 करोड़ रुपये की समाधान योजना को मंजूरी दे दी थी।

सूत्रों के अनुसार ऋणदाताओं ने दावा किया कि आईआईएचएल ने औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) से मंजूरी लेने का कदम बाद में उठाया है।

उन्होंने कहा कि यह 27 फरवरी, 2024 को समाधान योजना को मंजूरी देते समय एनसीएलटी की तय शर्तों का हिस्सा भी नहीं था।

इस मुद्दे पर टिप्पणी के लिए आईआईएचएल को भेजे गए सवालों का फिलहाल कोई जवाब नहीं आया है।

सूत्रों के अनुसार आईआईएचएल के डीआईपीपी के पास आवेदन जमा करे हुए 90 दिन बीत चुके हैं, लेकिन मंजूरी अभी भी लंबित है।

डीआईपीपी की मंजूरी इसलिए जरूरी है, क्योंकि आईआईएचएल के कुछ शेयरधारक हांगकांग के निवासी हैं, जो चीन नियंत्रित एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र है।

प्रेस नोट तीन के अनुसार यदि भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले किसी देश (चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमार और अफगानिस्तान) की कोई इकाई, नागरिक या स्थायी निवासी भारत में निवेश करता है, तो उसे सरकार से इसके लिए मंजूरी लेनी होगी।

भाषा पाण्डेय रमण

रमण


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