एसईए ने नेपाल के रास्ते सोयाबीन तेल के आयात पर रोक लगाने की मांग की

एसईए ने नेपाल के रास्ते सोयाबीन तेल के आयात पर रोक लगाने की मांग की

एसईए ने नेपाल के रास्ते सोयाबीन तेल के आयात पर रोक लगाने की मांग की
Modified Date: November 29, 2022 / 07:49 pm IST
Published Date: May 31, 2021 10:41 am IST

नयी दिल्ली, 31 मई (भाषा) खाद्य तेल उद्योग निकाय एसईए ने सोमवार को सरकार से आग्रह किया कि वह उत्पाद उत्पत्तिस्थल नियमों का उल्लंघन करते हुए नेपाल के रास्ते शून्य शुल्क पर सोयाबीन तेल के भारी आयात पर रोक लगाये। एसईए का कहना है कि इससे राजकोष को 1,200 करोड़ रुपये के वार्षिक राजस्व नुकसान हो सकता है और घरेलू रिफाइनिंग कंपनियों को नुकसान पहुंच सकता है।

पांच सबसे कम विकसित दक्षेस देशों द्वारा भारत को निर्यात किए जाने वाले सामानों पर सीमा शुल्क में पूरी तरह से छूट दी गई है। इस छूट का फायदा उठाकर पाम तेल और सोयाबीन तेल का आयात नेपाल और बांग्लादेश के जरिए बड़ी मात्रा में किया जा रहा है।

अन्यथा, रिफाइंड पामोलिन और रिफाइंड सोया तेल पर उपकर सहित आयात शुल्क 49.5 प्रतिशत है।

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सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने एक बयान में कहा, ‘‘ओरिजिन (उत्पत्ति का स्थान) के नियमों का उल्लंघन कर नेपाल से भारत में सोयाबीन तेल का भारी आयात घरेलू रिफाइनरों, किसानों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रहा है तथा इससे सरकार को राजस्व की भारी हानि हो रही है। हमने सरकार से आयात का विनियमन करने के लिए कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध किया है।’’

इस व्यापार निकाय ने कहा कि उसने इस संबंध में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल को एक मांग पत्र र्सौंपी है।

एसईए के अनुसार, नेपाल में सोयाबीन का कोई उत्पादन नहीं होता है और आयातित सोयाबीन की पेराई की क्षमता बहुत कम है। नेपाल किसी भी पाम तेल का उत्पादन नहीं करता है।

उसने कहा है, ‘‘नेपाल से आयात किया जा रहा पामोलिन इंडोनेशियाई और मलेशियाई मूल का है और सोयाबीन तेल दक्षिण अमेरिकी मूल का है, इस तरह के आयात के लिए शुल्क छूट प्राप्त करने के ‘मूल के नियमों’ का उल्लंघन करके नेपाल या बांग्लादेश के माध्यम से इन तेलों को भेजा जाता है।’’

नेपाल ने जुलाई 2020 और अप्रैल 2021 के बीच भारत को 2,15,000 टन कच्चे सोयाबीन तेल और 3,000 टन कच्चे पाम तेल का निर्यात किया। वर्तमान आयात शुल्क पर, उपकर सहित, नेपाल के माध्यम से आयात होने को विनियमित नहीं किया जाता है तो सरकार को 1,200 करोड़ रुपये के वार्षिक राजस्व का नुकसान हो सकता है।

एसईए ने तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए सरकार को ‘मूल उत्तपत्तिस्थल के नियमों’ की सख्ती से निगरानी करने और सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों के माध्यम से आयात करने का सुझाव दिया।

इसके अलावा, व्यापार निकाय ने सरकार से साफ्टा समझौते के तहत आयात को रोकने और नेपाल से रिफाइंड तेलों के आयात के लिए एक कोटा तय करने का आग्रह किया है।

भारत अपनी 60 प्रतिशत खाद्य तेलों की आवश्यकता को आयात के माध्यम से पूरा करता है।

भाषा राजेश राजेश मनोहर

मनोहर


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