मुंबई उच्च न्यायालय की कई पीठ जगदीशन की याचिका की सुनवाई से अलग हटीं

मुंबई उच्च न्यायालय की कई पीठ जगदीशन की याचिका की सुनवाई से अलग हटीं

मुंबई उच्च न्यायालय की कई पीठ जगदीशन की याचिका की सुनवाई से अलग हटीं
Modified Date: June 26, 2025 / 07:56 pm IST
Published Date: June 26, 2025 7:56 pm IST

मुंबई, 26 जून (भाषा) मुंबई उच्च न्यायालय की कई पीठ ने लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट के मामले में एचडीएफसी बैंक के शीर्ष अधिकारी शशिधर जगदीशन की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है।

निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) जगदीशन ने इस याचिका में ट्रस्ट की एक शिकायत पर अपने खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी और जालसाजी की प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया है।

उच्च न्यायालय के कुछ न्यायाधीशों ने ट्रस्ट या इसके लिए पेश होने वाले वकीलों के साथ काम करने का हवाला दिया। वहीं एक न्यायाधीश ने बृहस्पतिवार को स्वेच्छा से खुलासा किया कि उनके पास एचडीएफसी बैंक के कुछ शेयर हैं।

 ⁠

जगदीशन की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अमित देसाई ने कहा कि उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन ट्रस्ट की ओर से पेश वकील नितिन प्रधान ने इस पर एतराज जताया।

इसके बाद न्यायमूर्ति एम एस सोनक और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की पीठ ने खुद को मामले की सुनवाई से अलग करते हुए कहा कि मामले को दूसरी पीठ के समक्ष रखा जाएगा।

मुंबई के मशहूर लीलावती अस्पताल का संचालन करने वाले ट्रस्ट ने आरोप लगाया था कि जगदीशन ने ट्रस्ट के कामकाज पर चेतन मेहता समूह को अवैध और अनुचित नियंत्रण बनाए रखने में मदद करने के लिए वित्तीय सलाह देने के बदले में कथित तौर पर 2.05 करोड़ रुपये की रिश्वत ली।

ट्रस्ट ने जगदीशन पर एक प्रमुख निजी बैंक के प्रमुख के रूप में अपने पद का दुरुपयोग करके एक धर्मार्थ संगठन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है। इस शिकायत पर अदालती आदेश आने के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई है।

प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिका सबसे पहले जून की शुरुआत में न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध की गई थी।

न्यायमूर्ति पाटिल के मामले से खुद को अलग कर लेने के बाद मामला न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया। लेकिन इस पीठ ने भी खुद को मामले से अलग कर लिया।

उसके बाद, याचिका न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे, न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर, न्यायमूर्ति बी पी कोलाबावाला और न्यायमूर्ति एम एम साठे की अन्य खंडपीठों के समक्ष सुनवाई के लिए आई। लेकिन उन्होंने भी खुद को अलग कर लिया।

अब इस मामले को दूसरी पीठ के समक्ष रखा जाएगा।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय


लेखक के बारे में