नयी दिल्ली, 31 मार्च (भाषा) केंद्र सरकार द्वारा शुक्रवार को घोषित विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2023 में ई-वाणिज्य निर्यात को एफटीपी लाभ देना, कूरियर के जरिए निर्यात की मूल्य सीमा को बढ़ाकर 10 लाख रुपये प्रति खेप करना जैसे अनेक कदमों की घोषणा की गई है। साथ ही यह उम्मीद जताई गई है कि 2030 तक देश का ई-वाणिज्य निर्यात बढ़कर 200 से 300 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।
उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने नई विदेश व्यापार नीति पेश की। इसमें ई-वाणिज्य निर्यात को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया गया है। इसी के चलते, ई-वाणिज्य विक्रेताओं के लिए भंडारण को आसान बनाने, सीमा शुल्क मंजूरी और माल वापस करने या बदलने के काम में उन्हें मदद देने के लिए गोदामों की सुविधा वाला विशेष क्षेत्र बनाने का भी प्रस्ताव इसमें है।
इसके अलावा लेबल करने, परीक्षण और फिर से पैकेज बनाने जैसी गतिविधियों के लिए प्रक्रिया केंद्र की भी इजाजत नई नीति में दी गई है। नई नीति के तहत ई-वाणिज्य निर्यातकों को एफटीपी के सभी लाभ दिए जाएंगे।
वहीं कूरियर सेवा के जरिए किए जाने वाले निर्यात की मूल्य सीमा को मौजूदा पांच लाख रुपये से बढ़ाकर दस लाख रुपये प्रति खेप कर दिया गया है। नीति के मुताबिक, ई-वाणिज्य के तहत निर्यात को और सुविधाजनक बनाने के लिए अन्य मंत्रालयों के साथ मिलकर दिशा-निर्देश तय किए जाएंगे।
नीति के अनुसार, पूरे देश में डाक घर निर्यात केंद्रों का संचालन किया जाएगा जो सीमा पार ई-वाणिज्य की सुविधा के लिए और दूरदराज के इलाकों में कारीगरों, बुनकरों, शिल्पकारों, दूरदराज के एमएसएमई की अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच बनाने के लिए विदेशी डाकघरों के साथ मिलकर ‘हब-एंड-स्पोक मॉडल’ में काम करेंगे।
इसमें छोटे ई-वाणिज्य निर्यातकों के लिए विशेष पहुंच एवं प्रशिक्षण गतिविधियों का और उद्योग तथा नॉलेज साझेदारों तक पहुंच बनाने में उनका समर्थन करने का भी जिक्र है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कंप्यूटर सॉफ्टवेयर निर्यात सवंर्धन परिषद (ईसीएस) के चेयरमैन संदीप नरूला ने कहा कि ई-वाणिज्य निर्यात पर जोर, निर्यातक समुदाय की चिंताओं के समाधान के लिए परामर्श व्यवस्था बनाने, निर्यात दायित्व में चूक की आम माफी, निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्यों के साथ बेहतर मेलजेल जैसे कदम स्वागत योग्य हैं।
नरूला ने कहा, ‘‘2030 तक 2,000 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य का पाना है तो भारत में अहम नीतिगत फैसले लेना और राज्य सरकारों, उद्योग तथा निर्यातक समुदाय समेत विभिन्न संबद्ध पक्षों की मजबूत प्रतिबद्धता जरूरी है।’’ उन्होंने कहा कि निर्यात में मौजूदा वृद्धि यह उम्मीद जगाती है कि यह लक्ष्य पाया जा सकता है।
भाषा मानसी रमण
रमण
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