किसानों को बिजली उपलब्ध कराने में प्रमुख स्रोत हो सकते हैं सौर पैनल : चौहान

किसानों को बिजली उपलब्ध कराने में प्रमुख स्रोत हो सकते हैं सौर पैनल : चौहान

किसानों को बिजली उपलब्ध कराने में प्रमुख स्रोत हो सकते हैं सौर पैनल : चौहान
Modified Date: June 4, 2025 / 07:27 pm IST
Published Date: June 4, 2025 7:27 pm IST

नयी दिल्ली, चार जून (भाषा) केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को सुझाव दिया कि एक ऐसे मॉडल पर विचार किया जा सकता है, जिसमें फसलों के ऊपर ऊंचे सौर पैनल लगाए जा सकते हैं, ताकि किसान भोजन और ऊर्जा दोनों के प्रदाता बन सकें।

मंत्री ने यहां भारतीय राष्ट्रीय सौर ऊर्जा महासंघ (एनएसईएफआई) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कृषि-नवीकरणीय ऊर्जा सम्मेलन-2025 में हिस्सा लिया।

इस अवसर पर चौहान ने महासंघ की रिपोर्ट और कृषि एवं नवीकरणीय ऊर्जा पर वार्षिक संदर्भ पुस्तक का विमोचन किया।

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एक सरकारी बयान में कहा गया है कि सम्मेलन का आयोजन कृषि क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण के संबंध में नीति-निर्माताओं, विशेषज्ञों और किसानों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया था।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि किसानों को बिजली उपलब्ध कराने के मामले में सौर पैनल प्रमुख स्रोत हो सकते हैं और पीएम-कुसुम योजना उनके लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रही है।

उन्होंने ‘‘खेतों में फसल उगाने के लिए ऊंचे सौर पैनल लगाने का मॉडल भी प्रस्तावित किया, जिसमें कहा गया कि इस तरह के मॉडल छोटे और मध्यम स्तर के किसानों को खाद्य और ऊर्जा प्रदाता दोनों में बदल सकते हैं।’’

मंत्री ने इस मॉडल पर अधिक गंभीरता से विचार करने और इसे विकसित करने का आग्रह किया।

चौहान ने कहा कि अगर इस मॉडल के प्रभावी और आधुनिक संस्करण सामने आते हैं, तो सरकार निश्चित रूप से इसके कार्यान्वयन का समर्थन करेगी।

उन्होंने कहा कि किसानों की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए छह प्रभावी उपायों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है जिसमें उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन की लागत कम करना, उपज के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करना, नुकसान की स्थिति में मुआवजा प्रदान करना, विविधीकरण और भविष्य की पीढ़ियों के लिए भूमि को संरक्षित करने के लिए उर्वरकों का संतुलित उपयोग शामिल हैं।

मंत्री ने मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए जैविक खेती के महत्व पर भी जोर दिया।

चौहान ने कहा कि वर्ष 2014-15 से कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, कुल उत्पादन में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा कि गेहूं, चावल, मक्का और मूंगफली के उत्पादन में वृद्धि हुई है, लेकिन दालों और तिलहन के उत्पादन को बढ़ाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत कृषि के बिना काम नहीं कर सकता है।’ उन्होंने कहा कि देश की 50 प्रतिशत आबादी अब भी रोजगार के लिए कृषि पर निर्भर है।

उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाना होगा।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय


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