आईबीसी के तहत दबाव वाली संपत्तियों के समाधान को स्थिति ‘सामान्य’ हुई : साहू

आईबीसी के तहत दबाव वाली संपत्तियों के समाधान को स्थिति ‘सामान्य’ हुई : साहू

आईबीसी के तहत दबाव वाली संपत्तियों के समाधान को स्थिति ‘सामान्य’ हुई : साहू
Modified Date: November 29, 2022 / 09:01 pm IST
Published Date: March 25, 2021 11:24 am IST

नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के अध्यक्ष एम एस साहू ने कहा है कि दिवाला कानून के तहत दबाव वाली संपत्तियों के संदर्भ में स्थिति अब ‘सामान्य’ हो गई है। उन्होंने कहा कि नए मामलों में दिवाला प्रक्रिया शुरू करने पर रोक की अवधि अब समाप्त हो गई है, जिससे चीजें सामान्य हो रही हैं।

कोरोना वायरस महामारी की वजह से संबद्ध प्रावधानों को स्थगित कर दिया गया था। अब यह रोक समाप्त हो गई है तथा दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत नए मामलों में प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

दबाव वाली संपत्तियों के समयबद्ध तथा बाजार आधारित निपटान के लिए आईबीसी के कुछ प्रावधानों को पिछले साल 25 मार्च को महामारी की वजह से स्थगित कर दिया गया था। यह रोक 24 मार्च को समाप्त हो गई है।

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साहू ने बृहस्पतिवार को कहा कि तीन चीजें अब स्पष्ट हो गई हैं। ‘‘मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने कर्ज की किस्त के भुगतान पर रोक के बारे में चीजें स्पष्ट कर दी हैं। इसके अलावा कोविड-19 की वजह से चूक के मामले में कॉरपोरेट दिवाला प्रक्रिया पर भी रोक समाप्त हो गई है। तीसरी बात यह कि अब कोविड-19 कारोबार के लिए एक ‘नया सामान्य’ बन चुका है।

साहू ने पीटीआई-भाषा से कहा कि इस तरह से संहिता के तहत दबाव वाली संपत्तियों के निपटान को लेकर स्थिति सामान्य हो गई है। आईबीबीआई इस संहिता का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने वाला प्रमुख संस्थान है।

जून, 2020 में दिवाला कानून के तहत नए मामलों पर स्थगन के लिए अध्यादेश जारी किया गया था। यह व्यवस्था पिछली तारीख यानी 25 मार्च से लागू हुई थी।

इसके बाद सितंबर में संसद ने इस अध्यादेश के स्थान पर विधेयक पारित किया। इस विधेयक के जरिये संहिता में संशोधन किया गया।

शुरुआत में यह स्थगन 25 मार्च से छह महीने के लिए था। लेकिन इसे दो बार तीन-तीन महीने के लिए बढ़ाया गया। पहले इसे 24 दिसंबर, 2020 तक किया गया। फिर इसे 24 मार्च, 2021 तक बढ़ाया गया।

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने महामारी से प्रभावित कंपनियों को राहत के लिए धारा 7, 9 और 10 को स्थगित किया था।

भाषा अजय अजय मनोहर

मनोहर


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