बिजली वितरण कंपनियों के लिये मानक बोली दस्तावेज का मकसद उनका निजीकरण करना है: एआईपीईएफ

बिजली वितरण कंपनियों के लिये मानक बोली दस्तावेज का मकसद उनका निजीकरण करना है: एआईपीईएफ

बिजली वितरण कंपनियों के लिये मानक बोली दस्तावेज का मकसद उनका निजीकरण करना है: एआईपीईएफ
Modified Date: November 29, 2022 / 09:01 pm IST
Published Date: October 9, 2020 2:47 pm IST

नयी दिल्ली, नौ अक्टूबर (भाषा) बिजली क्षेत्र में काम कर रहे इंजीनियरों के संगठन एआईपीईएफ ने शुक्रवार को कहा कि वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के लिये बिजली मंत्रालय द्वारा जारी मानक बोली दस्तावेज का मसौदा क्षेत्र में सुधार के लिये नहीं बल्कि पूरे देश में निजीकरण के लिये है।

उल्लेखनीय है कि बिजली मंत्रालय वितरण लाइसेंस रखने वाली कंपनियों के निजीकरण के लिये मानक बोली दस्तावेज (एसबीडी) मसौदा जारी किया। इस पर लोगों से 5 अक्टूबर तक राय मांगी गयी थी। इसे बढ़ाकर अब 12 अक्टूबर, 2020 कर दिया गया है।

इसमें राज्यों के लिये दिशानिर्देश उपलब्ध कराया गया है जो परिचालन दक्षता और वित्त में सुधार के लिये बिजली वितरण कंपनियां निजी इकाइयों को देना चाहते हैं।

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इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) के प्रवक्ता वी के गुप्ता ने एक बयान में कहा, ‘‘बिजली मंत्रालय का एसबीडी के जरिये इरादा बिजली क्षेत्र में सुधार लाना नहीं बल्कि देश भर में इसके निजीकरण करने का है।’’

एआईपीईएफ ने अपनी टिप्पणी में कहा कि निजीकरण के मुद्दे पर सहमति ही नहीं है क्योंकि यह संबंधित राज्य सरकारों का विशेषाधिकार है।

संगठन ने बयान में कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार ने देश भर में वितरण कंपनियों के निजीकरण का निर्णय कर लिया है।’’

एआईपीईएफ ने पूर्व बिजली सचिव ईएएस शर्मा की एसबीडी पर टिप्पणी भी अपने जवाब में शामिल की है।

शर्मा का कहना है कि बिजली वितरण नेटवर्क रणनीतिक महत्व का है और ऐसे में उन विदेशी निवेशकों को सीधे बोली लगाये या प्रायोजित बोलीदाताओं के जरिये बोली लगाने की अनुमति देने से पहले उसकी जांच करना युक्तिसंगत होगा।

एसबीडी में मामूली किराये पर निजी कंपनी को जमीन देने का प्रावधान है। इसका मतलब है कि निजी कंपनियों को एक तरह से गुपचुप तरीके से लाभ देना।

संगठन ने कहा कि घनी आबादी वाला शहरी क्षेत्र वितरण कंपनियों की कमाई के प्रमुख स्रोत हैं। इस स्रोत से प्राप्त आय का उपयोग उन जगहों पर सब्सिडी देने में किया जाता है जहां आबादी कम है और यूनिट की लागत, आय के मुकाबले कम है।

आय के नजरिये से महत्वपूर्ण ऐसे क्षेत्रों को निजी कंपनियों को सौंपकर सरकार वितरण कंपनियों के हितों को नुकसान पहुंचाएगी।

फिर से एटीएंडसी (सकल तकनीकी और वाणिज्यिक) नुकसान बोली के लिये कोई भरोसेमंद मानदंड नहीं है।

संगठन ने कहा कि बोली प्रारूप में निजी कंपनियों को तकनीकी नुकसान को कम करने और बिजली गुणवत्ता में सुधार के लिये उपयुक्त निवेश को लेकर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

भाषा रमण पाण्डेय

पाण्डेय


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