नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने भारतीय मानकों को पढ़ने और समझने में सुगमता के लिए मशीन एप्लिकेबल रीडेबल एंड ट्रांसफरेबल (स्मार्ट) दृष्टिकोण पर जोर दिया।
मंगलवार को संपन्न डिजिटल परिवर्तन पर दो दिन की कार्यशाला में बीआईएस महानिदेशक ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि विशेषज्ञ और उद्योग के अंशधारक मानक निर्माण में भाग लेने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि मानक ‘‘बहुत अधिक संख्या में, अत्यधिक तकनीकी और पढ़ने में सुगम नहीं हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह समस्या तब और भी बड़ी हो जाती है जब हम भारतीय परिदृश्य को देखते हैं, जिसमें छोटे और सूक्ष्म क्षेत्रों का वर्चस्व है। बीआईएस ने 80 प्रतिशत से अधिक लाइसेंस सूक्ष्म और लघु क्षेत्रों को दिए हैं। उन्हें मानकों का मतलब निकालना बहुत मुश्किल लगता है।’’
उन्होंने कहा कि विभिन्न अंशधारकों के लिए मानकों को आसानी से पढ़ने योग्य बनाने के तरीके तलाशने की जरूरत है।
भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा जमीनी स्तर पर मानकों के बारे में जागरूकता पैदा करने और ग्राम पंचायतों के लिए प्रशिक्षण आयोजित करने के साथ तिवारी ने कहा कि ऐसे मानक लिखना महत्वपूर्ण है जो आसानी से पढ़ने योग्य और सुलभ हों।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास देश में लगभग 2.6 लाख ग्राम पंचायतें हैं। हम उनके लिए प्रशिक्षण आयोजित कर रहे हैं क्योंकि वे सरकारी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। चुनौती यह है कि वे मानकों को कैसे समझ सकते हैं। मेरा मानना है कि हम जिस समस्या का सामना कर रहे हैं उसका स्मार्ट मानक एक प्रभावी उत्तर दें।’’
बीआईएस महानिदेशक ने अंतरराष्ट्रीय इलेक्ट्रोटेक्निकल कमीशन (आईईसी) और अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (आईएसओ) की स्मार्ट मानक पहल का भी स्वागत किया।
बीआईएस के सहयोग से आईईसी और आईएसओ द्वारा आयोजित कार्यशाला में प्रोजेक्ट स्मार्ट की पेशकश और भारत इसमें कैसे भाग ले सकता है, इस पर चर्चा हुई।
कार्यशाला में आईएसओ केंद्रीय सचिवालय, आईईसी सचिवालय और जापान, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी और ब्रिटेन सहित कई आईएसओ सदस्य देशों की सक्रिय भागीदारी देखी गई।
भाषा राजेश राजेश अजय
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