नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) आयातित सूरजमुखी तेल के दाम में मंगलवार को फिर से गिरावट आई, जिसके बाद दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में देशी तेल-तिलहनों पर दबाव कायम होने की वजह से बिनौला तेल कीमतों में आई गिरावट को छोड़कर देशी सोयाबीन, सरसों, मूंगफली तेल-तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि सूरजमुखी तेल के टूटने के बाद सभी देशी तेल-तिलहनों के भाव जरूर ऊंचा बोले जा रहे हैं पर कोई लिवाल नहीं है। लगभग 10 माह पूर्व सूरजमुखी तेल का भाव सोयाबीन तेल से 350 डॉलर अधिक हुआ करता था लेकिन मौजूदा समय में इसका भाव सोयाबीन से 100 डॉलर नीचे हो गया है। यानी सूरजमुखी तेल का भाव पहले के 200 रुपये लीटर के मुकाबले घटकर 80-81 रुपये लीटर रह गया है जिससे देशी तेल-तिलहनों का बाजार में खपना दूभर हो गया है। अधिकांश तेल संगठन पाम और पामोलीन के आयात शुल्क के अंतर को बढ़ाने की बात तो करते हैं पर देशी तेल-तिलहनों पर सबसे अधिक असर डालने वाले सूरजमुखी के दाम टूटने के बारे में जाने क्यों चुप्पी साध लेते हैं ?
सूत्रों ने कहा कि विदेशों की घट-बढ़ से कहीं सबसे ज्यादा सूरजमुखी और सोयाबीन के दाम का धराशायी होना देशी तेल-तिलहन बाजार को प्रभावित कर रहा है। नतीजतन देश के तिलहन किसान और तेल उद्योग दोनों बर्बादी के कगार पर पहुंच गये हैं। उन्होंने कहा कि कम आयवर्ग एवं रेहड़ी पटरी पर खोमचा लगाने वाले या छोटे रेस्तरां में उपयोग होने वाले पामोलीन पर तो 13.75 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू है दूसरी ओर उच्च आयवर्ग में खपत होने वाले सूरजमुखी तेल को 31 मार्च आयातशुल्क मुक्त रखा जा रहा है। समय हाथ से निकलने के पहले सरकार को तत्काल इस बात को संज्ञान में लेकर आयातित सूरजमुखी और सोयाबीन तेल पर 45 प्रतिशत तक का आयात शुल्क लगाने की पहल करनी होगी। इसके बाद ही देशी तेल-तिलहनों के खपने का रास्ता खुलेगा।
सूत्रों ने कहा कि सरकार को इस बात को भी संज्ञान में लेन होगा कि आयात शुल्क मुक्त व्यवस्था लागू करने का मकसद उपभोक्ताओं को छह रुपये सस्ता सॉफ्ट ऑयल मुहैया कराना था लेकिन इसके उलट इस शुल्कमुक्त व्यवस्था का लाभ लेने वाले लोग दोगुने दाम पर बिक्री कर मुनाफा काट रहे हैं। सरकार को ऐसे शुल्कमुक्त आयात का लाभ लेकर उसी तेल को लगभग दोगुने दाम पर बेचने वालों पर जुर्माना लगाना चाहिये। बंदरगाह पर सूरजमुख्री तेल का भाव पड़ता है 80-81 रुपये लीटर और खुदरा बाजार में एमआरपी की वजह से यह 160-170 रुपये लीटर बेचा जा रहा है।
सूत्रों ने कहा कि सूरजमुखी तेल में आज आई गिरावट के कारण एनसीडीईएक्स के वायदा कारोबार में बिनौला खली के अप्रैल अनुबंध का भाव 2,684 रुपये से बढ़कर 2,708 रुपये क्विंटल हो गया। उन्होंने कहा कि विदेशी बाजारों में फिलहाल गिरावट का रुख है।
मंगलवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 5,250-5,300 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,780-6,840 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,600 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,540-2,805 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 10,900 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,705-1,775 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,705-1,825 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,270 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,140 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,640 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,650 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,460 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,250 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 5,225-5,375 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,985-5,035 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश अजय
अजय
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