टाटा पावर-डीडीएल ने बैटरी अदला-बदली केंद्रों के लिये सन मोबिलिटी के साथ किया गठजोड़

टाटा पावर-डीडीएल ने बैटरी अदला-बदली केंद्रों के लिये सन मोबिलिटी के साथ किया गठजोड़

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  • Publish Date - March 25, 2021 / 12:55 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:03 PM IST

नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) टाटा पावर की संयुक्त उद्यम कंपनी टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लि. (टीपीडीडीएल) ने बृहस्पतिवार को उत्तर और उत्तर-पश्चिम दिल्ली में बैटरी अदला-बदली केंद्रों का नेटवर्क स्थापित करने के लिये सन मोबिलिटी के साथ भागीदारी की घोषणा की।

एक बयान के अनुसार दिल्ली में करीब 70 लाख आबादी को बिजली उपलब्ध कराने वाली प्रमुख वितरण कंपनी टाटा पावर-डीडीएल ने उत्तर और उत्तर पश्चिम दिल्ली में बैटरी अदला-बदली केंद्र स्थापित करने के लिये ऊर्जा क्षेत्र में ढांचागत सुविधा तथा इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये सेवाएं देने वाली सन मोबिलिटी के साथ गठजोड़ किया है।

टाटा पावर और दिल्ली सरकार की संयुक्त उद्यम टीपीडीडीएल के साथ मिलकर सन मोबिलिटी ने आजादपुर इलाके में दो त्वरित इंटरचेंज स्टेशनों के साथ पहला बैटरी अदला-बदली केंद्र की शुरूआत की है। इस पहल का मकसद दिल्ली के व्यस्त इलाकों में से एक में इलेक्ट्रिक वाहन की जरूरतों को पूरा करना है।

स्टेशनों का उद्घाटान डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन, दिल्ली के उपाध्याक्ष जैस्मिन शाह ने किया। क्षेत्र में इलेक्ट्रिक दो-पहिया और तिपहिया वाहनों की संख्या को देखते हुए, इस भागीदारी का मकसद बैटरी अदला-बदली का एक व्यापक नेटवर्क स्थापित करना है जिससे ग्राहकों को उसी तरह से बैटरी की अदला-बदली की सुविधा मिले जैसा कि उन्हें पेट्रोल और दूसरे ईंधन के मामले में है।

इस बारे में टाटा पावर-डीडीएल के सीईओ गणेश श्रीनिवासन ने एक बयान में कहा, ‘‘…हम स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त दिल्ली के लिये प्रतिबद्ध हैं और भरोसा है कि हम दिल्ली को ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) मामले में देश की राजधानी बनाने में ‘स्विच दिल्ली’ अभियान को तेजी से आगे बढ़ा सकते हैं।’’

इस मौके पर शाह ने कहा, ‘‘यह पहल मुख्यमंत्री के दिल्ली को भारत की ईवी राजधानी बनाने के दृष्टिकोण के अनुरूप है। हमारा रुख बिल्कुल साफ है कि शून्य उत्सर्जन भविष्य है। यह अच्छी बात है कि सन मोबिलिटी और टाटा-पावर डीडीएल जैसी निजी कंपनियां सरकार की योजना के अनुसार काम कर रही हैं। बैटरी अदला-बदली के अनूठे मॉडल से इसे वास्तविक रूप देने में मदद मिलेगी।’’

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर