चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 2025 में 106 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है:जीटीआरआई

चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 2025 में 106 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है:जीटीआरआई

  •  
  • Publish Date - December 19, 2025 / 12:11 PM IST,
    Updated On - December 19, 2025 / 12:11 PM IST

नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 2025 में 106 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की आशंका है, क्योंकि पड़ोसी देश को होने वाले निर्यात की तुलना में आयात में तेजी से वृद्धि हो रही है।

आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में कहा गया कि चीन को देश का निर्यात 2021 में 23 अरब अमेरिकी डॉलर से 2022 में घटकर 15.2 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, यह 2023 में 14.5 अरब अमेरिकी डॉलर रहा और फिर 2024 में बढ़कर 15.1 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। अनुमान है कि 2025 में निर्यात बढ़कर 17.5 अरब अमेरिकी डॉलर हो जाएगा।

इस कैलेंडर वर्ष में, देश में आने वाले माल का अनुमानित मूल्य 123.5 अरब अमेरिकी डॉलर है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ इससे चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा (आयात व निर्यात के बीच का अंतर) 2021 में 64.7 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2024 में 94.5 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया और इसके 2025 में 106 अरब अमेरिकी डॉलर रहने का अनुमान है।’’

वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने 16 दिसंबर को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि घाटा मुख्य रूप से कच्चे माल, मध्यवर्ती वस्तुओं एवं पूंजीगत वस्तुओं के आयात के कारण है, जैसे मोटर वाहन कलपुर्जें, इलेक्ट्रॉनिक घटक, मोबाइल फोन घटक, मशीनरी व उसके घटक, ‘एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स’ जिनका उपयोग तैयार उत्पादों को बनाने में किया जाता है और जिन्हें भारत से बाहर निर्यात भी किया जाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ आयात व निर्यात के रुझानों पर विचार करने और जहां आवश्यक हो, सुधारात्मक कार्रवाई की सिफारिश करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) का गठन किया गया है।’’

जीटीआरआई के अनुसार, चीन से भारत के करीब 80 प्रतिशत आयात केवल चार उत्पाद समूहों इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, कार्बनिक रसायन और प्लास्टिक में केंद्रित हैं।

भारत का चीन को निर्यात नवंबर में 90 प्रतिशत बढ़कर 2.2 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। अप्रैल-नवंबर के दौरान निर्यात में 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 12.2 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।

भाषा निहारिका मनीषा

मनीषा