कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार किसान संघों से बातचीत को तैयार; कृषि कानूनों में कहां आपत्ति है बतायें | The Agriculture Minister said that the government is ready to hold talks with farmers' unions; Tell me where there are objections to agricultural laws

कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार किसान संघों से बातचीत को तैयार; कृषि कानूनों में कहां आपत्ति है बतायें

कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार किसान संघों से बातचीत को तैयार; कृषि कानूनों में कहां आपत्ति है बतायें

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:55 PM IST, Published Date : June 9, 2021/2:02 pm IST

नयी दिल्ली, नौ जून (भाषा) केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा कि सरकार विरोध कर रहे किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के लिए तैयार है, लेकिन उन्होंने किसान संगठनों से तीनों कृषि कानूनों के प्रावधानों में कहां आपत्ति है ठोस तर्क के साथ अपनी बात बताने को कहा है।

सरकार और यूनियनों ने गतिरोध खत्म करने और किसानों के विरोध प्रदर्शन को समाप्त करने के लिए 11 दौर की बातचीत की है, जिसमें आखिरी वार्ता 22 जनवरी को हुई थी। 26 जनवरी को किसानों के विरोध प्रदर्शन में एक ट्रैक्टर रैली के दौरान व्यापक हिंसा के बाद बातचीत रुक गई थी।

तीन कृषि कानूनों के विरोध में छह महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान डेरा डाले हुए हैं, जो मुख्यत: पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं। इन किसानों को आशंका है कि नये कृषि कानूनों के अमल में आने से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की सरकारी खरीद समाप्त हो जाएगी। उच्चतम न्यायालय ने तीनों कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर अगले आदेश तक रोक लगा रखी है और समाधान खोजने के लिए एक समिति का गठन किया है।

मंत्रिमंडल के बैठक के बाद तोमर ने कहा, ‘‘देश के सभी राजनीतिक दल इन कृषि कानूनों को लाना चाहते थे, लेकिन उन्हें लाने का साहस नहीं जुटा सके। मोदी सरकार ने किसानों के हित में यह बड़ा कदम उठाया और सुधार लाए। देश के कई हिस्सों में किसानों को इसका लाभ मिलने लगा। लेकिन इसी बीच किसानों का आंदोलन शुरू हो गया।’’

उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के साथ 11 दौर की बातचीत की और किसान संगठनों से इन कानूनों पर उनकी आपत्तियों के बारे में पूछा गया और जानने की कोशिश की गई उन्हें कौन से प्रावधान किसानों के खिलाफ मालूम पड़ते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन न तो किसी राजनीतिक दल के नेता ने सदन (संसद) में इसका जवाब दिया और न ही किसी किसान नेता ने, और बातचीत आगे नहीं बढ़ी।’’

मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों के प्रति कटिबद्ध है और किसानों का सम्मान भी करती है।

तोमर ने कहा, ‘‘इसलिए, जब भी किसान चर्चा चाहेंगे, भारत सरकार चर्चा के लिए तैयार रहेगी। लेकिन हमने बार-बार उन्हें प्रावधानों में आपत्तियों के पीछे तर्क के साथ अपनी बात रखने को कहा है। हम सुनेंगे और समाधान ढूंढेंगे।’’

तोमर और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल समेत तीन केंद्रीय मंत्रियों ने प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के साथ 11 दौर की बातचीत की थी।

इस तरह की 22 जनवरी को हुई पिछली बैठक में, सरकार ने 41 किसान समूहों के साथ बातचीत की जिसमें गतिरोध उत्पन्न हुआ क्योंकि किसान संगठनों ने कानूनों को निलंबित करने के केंद्र के प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज कर दिया।

इससे पहले 20 जनवरी को हुई 10वें दौर की वार्ता के दौरान केंद्र ने 1-1.5 साल के लिए कानूनों को निलंबित रखने और समाधान खोजने के लिए एक संयुक्त समिति बनाने की पेशकश की थी, जिसके बदले में विरोध करने वाले किसानों से दिल्ली की सीमाओं से हटकर अपने घर जाने को कहा गया था।

किसान संगठनों ने आरोप लगाया है कि ये कानून मंडी और एमएसपी खरीद प्रणाली को खत्म कर देंगे और किसानों को बड़े कॉरपोरेट्स की दया पर छोड़ देंगे। हालांकि, सरकार ने इन आशंकाओं को गलत बताते हुए इन्हें खारिज कर दिया।

उच्चतम न्यायालय ने भी 11 जनवरी को अगले आदेश तक इन तीन कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी थी और गतिरोध को हल करने के लिए चार सदस्यीय समिति बनाई। भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति से खुद को अलग कर लिया था।

शेतकारी संगठन (महाराष्ट्र) के अध्यक्ष अनिल घनवत और कृषि अर्थशास्त्री प्रमोद कुमार जोशी और अशोक गुलाटी समिति के अन्य सदस्य हैं। उन्होंने हितधारकों के साथ परामर्श प्रक्रिया पूरी कर ली है।

भाषा राजेश

राजेश महाबीर

महाबीर

 

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