नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) से एप्पल इंक की उस याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ने सीसीआई के कई वर्षों के वित्तीय विवरण देने के आदेश को चुनौती दी है।
एप्पल ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 में किए गए संशोधन को भी चुनौती दी है, जिसके तहत सीसीआई कंपनी के वैश्विक कारोबार के आधार पर जुर्माना लगा सकता है।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने एप्पल की याचिका पर कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय और सीसीआई को नोटिस जारी किया। उन्हें एक सप्ताह के अंदर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर तय की है।
एप्पल ने अपनी याचिका में कहा है कि संशोधित जुर्माना प्रावधानों का प्रभाव यह है कि कंपनी के सभी उत्पादों या सेवाओं से होने वाला कुल कारोबार जुर्माने की गणना के लिए जोड़ा जा सकता है। पहले केवल प्रभावित संबंधित उत्पाद या सेवा से होने वाले कारोबार को ही गिना जाता था।
याचिका में कहा गया कि संशोधन के बाद सीसीआई के अधिकार से बाहर के क्षेत्रों में होने वाला वैश्विक कारोबार भी जुर्माने की गणना में शामिल किया जा सकता है।
याचिका के अनुसार, संशोधित प्रावधानों के तहत प्रतिस्पर्धा विरोधी आचरण के दोषी पाए गए उद्यमों पर पिछले तीन वित्त वर्षों के औसत कारोबार का 10 प्रतिशत तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
एप्पल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि अधिकारियों ने आठ दिसंबर तक भारतीय कारोबार का वित्तीय विवरण जमा करने को कहा है, जो संभव नहीं है क्योंकि उसे संकलित करना पड़ता है।
अदालत ने सरकार से यह भी पूछा कि एक ही उत्पाद के प्रभुत्व दुरुपयोग के मामले में वैश्विक कारोबार के आधार पर जुर्माना कैसे उचित ठहराया जा सकता है।
सरकार और सीसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता बलबीर सिंह ने जवाब दिया कि भारत में कोई कारोबार न करने वाली कंपनियों को भी सीसीआई के दायरे में लाने के लिए यह प्रावधान जोड़ा गया है।
भाषा पाण्डेय अजय
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