कोरोना संकट से पर्यटन-यात्रा क्षेत्र को 5 लाख करोड़ रुपये के नुकसान, पर्यटन उद्योग का अस्तित्व बचाने तत्काल राहत की जरूरत | Tourism, travel sector projected to lose Rs 5 lakh crore in Kovid-19 crisis: Report

कोरोना संकट से पर्यटन-यात्रा क्षेत्र को 5 लाख करोड़ रुपये के नुकसान, पर्यटन उद्योग का अस्तित्व बचाने तत्काल राहत की जरूरत

कोरोना संकट से पर्यटन-यात्रा क्षेत्र को 5 लाख करोड़ रुपये के नुकसान, पर्यटन उद्योग का अस्तित्व बचाने तत्काल राहत की जरूरत

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:50 PM IST, Published Date : September 9, 2020/11:53 am IST

नयी दिल्ली, 9 सितंबर (भाषा) कोरोना वायरस महामारी ने घरेलू पर्यटन और यात्रा क्षेत्र की पूरी आपूर्ति श्रृंखला की कमर तोड़ कर रख दी है। भारतीय उद्योग परिसंघ और आतिथ्य परामर्श कंपनी होटेलिवाटे की एक रपट के मुताबिक इस संकट से क्षेत्र को पांच लाख करोड़ रुपये यानी 65.57 अरब डॉलर के नुकसान का अनुमान है।

रपट में कहा गया है कि सिर्फ संगठित पर्यटन क्षेत्र को ही इससे 25 अरब डॉलर का नुकसान होने की संभावना है। यह आंकड़े चेताने वाले हैं और उद्योग को अपना अस्तित्व बचाने के लिए तत्काल राहत की जरूरत है। रपट के अनुसार, ‘‘ भारतीय पर्यटन क्षेत्र के सामने यह सबसे बड़े संकटों में से एक है। इसने सभी श्रेणियों घरेलू, अंतरदेशीय और अंतरराष्ट्रीय के पर्यटन को प्रभावित किया है। लक्जरी, साहसिक, विरासत, क्रूज, कॉरपोरेट इत्यादि सभी तरह के पर्यटन पर असर पड़ा है।’’

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पहले अक्टूबर तक ही लॉकडाउन और उससे बाजार में आयी नरमी के असर रहने का अनुमान था। लेकिन अब आंकड़े कुछ और दर्शाते हैं। मौजूदा रुख के हिसाब से अगले साल की शुरुआत तक होटलों में लगभग 30 प्रतिशत ही कमरे भरना शुरू होंगे। इससे होटलों की आय में 80 से 85 प्रतिशत तक कमी आएगी।

रपटके मुताबिक, ‘‘कोरोना वायरस महामारी ने भारतीय यात्रा और पर्यटन उद्योग की कमर तोड़ दी है। इसका असर पूरी आपूर्ति श्रृंखला पर पड़ा है। इससे उद्योग को करीब पांच लाख करोड़ रुपये यानी 65.57 अरब डॉलर के नुकसान का अनुमान है। इसमें अकेले संगठित पर्यटन उद्योग को ही 25 अरब डॉलर के नुकसान की संभावना है।’’

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अध्धयन के मुताबिक इस साज जनवरी में सबसे व्यस्त समय में होटलों में 80 प्रतिशत कमरे भरे थे। फरवरी में यह घटकर 70 प्रतिशत, मार्च में 45 प्रतिशत और अप्रैल में सात प्रतिशत पर आ गया। मई, जून, जुलाई और अगस्त में यह दर क्रमश: 10 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 15 प्रतिशत और 22 प्रतिशत रही। रपट में इसके सितंबर में बढ़कर 25 प्रतिशत, अक्टूबर में 28 प्रतिशत, नवंबर में 30 प्रतिशत और दिसंबर में 35 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान लगाया गया है।