पश्चिम एशिया में टीके की असमान पहुंच से आर्थिक पुनरोद्धार को जोखिम: आईएमएफ

पश्चिम एशिया में टीके की असमान पहुंच से आर्थिक पुनरोद्धार को जोखिम: आईएमएफ

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  • Publish Date - April 11, 2021 / 01:03 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:56 PM IST

दुबई, 11 अप्रैल (एपी) पश्चिम एशियाई देशों की अर्थव्यवस्थाएं कोरोना वायरस महामारी से तेजी से उबर रही हैं। इसका मुख्य कारण टीकाकरण अभियान में तेजी और तेल कीमत में वृद्धि है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने रविवार को आगाह किया कि गरीब और अमीर देशों के बीच असंतुलित रूप से टीके का वितरण क्षेत्र के पुनरोद्धार को पटरी से उतार सकता है। अपनी ताजी रिपोर्ट में आईएमएफ ने पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका के लिये 2020 के आर्थिक परिदृश्य में सुधार किया है। इन क्षेत्रों में पिछले साल केवल 3.4 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है। इसका कारण तेल निर्यातक क्षेत्रों में जिंसों और तेल के दाम में तेजी से आर्थिक वृद्धि को गति मिलना है। मार्च में तेल का दाम 67 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। इस साल के अंत तक तेल का दाम घटकर 57 डॉलर प्रति बैरल पहुंचने के अनुमान के बावजूद पिछले साल के रिकार्ड न्यूनतम स्तर से कीमत में वृद्धि तेल निर्यातक…संयुक्त अरब अमीरात, और सऊदी अरब जैसे देशों को राहत प्रदान कर रहे हैं। इन देशों में तेजी से टीकाकरण अभियान भी चलाया जा हा है। आईएमएफ ने कहा कि लेकिन क्षेत्र के दूसरे देशों…यमन से लेकर सूडान और लीबिया से लेकर लेबनान में स्थिति कुछ अलग ही हैं। मुद्रास्फीति ऊंची होने, अस्थिरता और युद्ध के कारण उत्पन्न समस्याएं और महामारी के असर से इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर आने वाले समय में प्रतिकूल प्रभाव और नुकसान होने की आशंका है। आईएमएफ के पश्चिम एशिया और मध्य एशिया विभाग के निदेशक जिहाद अजोर ने कहा, ‘‘संकट के एक साल हो गये हैं और पुनरूद्धार जारी है लेकिन यह विभिन्न देशों में अलग-अलग है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम बदलाव के मुहाने पर खड़े हैं… टीकाकरण नीति, आर्थिक नीति है।’’ आईएमएफ का अनुमान है कि पश्चिम एशिया में आर्थिक वृद्धि दर इस साल 4 प्रतिशत रहेगी। लेकिन क्षेत्र में आर्थिक विभाजन स्पष्ट तौर पर दिखेगा। अजोर ने कहा कि तेल समृद्ध अर्थव्यवस्थाओं को इस साल राजस्व बढ़ने से घाटा लगभग आधा होने का अनुमान है। टीकाकरण अभियान में तेजी और लॉकडाउन उपायों में ढील से स्थिति बेहतर होगी। उन्होंने कहा कि इसका श्रेय सरकार के वायरस और उसके परिणामस्वरूप तेल के दाम में गिरावट से निटपने के प्रबंधित तरीके से अपनाये गये उपाय हैं। आईएमएफ के अनुसार सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था में इस साल 2.9 प्रतिशत की वृद्धि होगी जबकि पिछले 4.1 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) द्वारा उत्पादन में कमी से तेल के दाम चढ़े। वहीं इस बात की संभावना कम ही है कि अमेरिका, ईरान के महत्वपूर्ण तेल क्षेत्र से जल्द पाबंदी हटाएगा। मुद्राकोष ने संयुक्त अरब अमीरात की वृद्धि दर चालू वर्ष 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आईएमएफ के अनुसार जहां धनी देशों की अगले कुछ महीनों में अपनी अधिकतर आबादी को टीका उपलब्ध कराने की योजना है वहीं अफगानिस्तान और गाजा से लेकर इराक तथा ईरान जैसे देशों में 2022 के मध्य तक भी बड़ी आबादी तक टीके की पहुंच मुश्किल जान पड़ती है। एपी .

रमण मनोहरमनोहर