‘अमेरिकी शुल्क देखने में गंभीर, लेकिन समझौता करने वाले देशों के मुकाबले भारत की स्थिति खराब नहीं’

‘अमेरिकी शुल्क देखने में गंभीर, लेकिन समझौता करने वाले देशों के मुकाबले भारत की स्थिति खराब नहीं’

‘अमेरिकी शुल्क देखने में गंभीर, लेकिन समझौता करने वाले देशों के मुकाबले भारत की स्थिति खराब नहीं’
Modified Date: July 30, 2025 / 10:32 pm IST
Published Date: July 30, 2025 10:32 pm IST

नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) शोध संस्थान जीटीआरआई ने बुधवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत शुल्क और जुर्माना लगाने की घोषणा भले ही गंभीर लग रही हो, लेकिन भारत की स्थिति अमेरिका के साथ व्यापार समझौते करने वाले देशों से ज्यादा खराब नहीं है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, जापान, इंडोनेशिया और वियतनाम अब उच्च शुल्क का सामना कर रहे हैं और बदले में उन्होंने काफी रियायतें दी हैं। इन रियायतों में अमेरिकी कृषि उत्पादों पर शून्य शुल्क, बड़े पैमाने पर निवेश के वादे और अमेरिकी तेल, गैस और हथियारों की खरीद शामिल हैं। जबकि भारत ने ऐसी कोई रियायत नहीं दी है।

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हालांकि, ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत शुल्क और जुर्माना लगाने की घोषणा कठोर लग सकती है, लेकिन करीब से देखने पर पता चलता है कि भारत की स्थिति अमेरिका के साथ समझौते करने वाले देशों से ज्यादा खराब नहीं है।’’

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उन्होंने कहा कि भारत इस समझौते से पीछे नहीं हटा और उसने सच्चे इरादे के साथ बातचीत की, लेकिन 70 करोड़ से ज्यादा लोगों की आजीविका वाले कृषि क्षेत्र में किसी भी तरह से रियायत देने से इनकार कर दिया।

श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रंप ने भारत पर शुल्क लगाने को लेकर व्यापार बाधा और रूस के साथ संबंधों को लेकर जो तर्क दिये हैं, उसका कोई मतलब नहीं है।

उन्होंने कहा कि भारत के शुल्क विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप हैं, गैर-शुल्क बाधाएं वैश्विक स्तर पर आम हैं और रियायती रूसी तेल ने वैश्विक अस्थिरता के दौरान भारत को मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद की है।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘भारत अकेला नहीं है। 90 से ज्यादा देश इसी तरह के अमेरिकी दबाव का सामना कर रहे हैं। अब भी समझौता हो सकता है, लेकिन केवल उचित शर्तों पर। फिलहाल, भारत के सैद्धांतिक रुख ने एकतरफा समझौते के जाल को टाल दिया है और यह एक सफलता है।’’

भाषा रमण अजय

अजय


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