अमेरिकी शुल्क से रत्न एवं आभूषण क्षेत्र पर दबाव, जीजेईपीसी की वित्त मंत्री से तत्काल राहत की मांग
अमेरिकी शुल्क से रत्न एवं आभूषण क्षेत्र पर दबाव, जीजेईपीसी की वित्त मंत्री से तत्काल राहत की मांग
मुंबई, 24 सितंबर (भाषा) रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की और इस क्षेत्र के लिए तत्काल राहत उपायों की मांग की। यह क्षेत्र अमेरिका द्वारा हाल ही में लगाए गए 50 प्रतिशत शुल्क से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। एक बयान में यह जानकारी दी गई।
जीजेईपीसी ने कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता फिर से शुरू होना उत्साहजनक है, लेकिन इस क्षेत्र को जीवित रखने और रोजगार को बनाए रखने में मदद के लिए राहत उपायों की तत्काल जरूरत है क्योंकि वार्ता पूरी होने में समय लग सकता है।
उद्योग निकाय ने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता फिर से शुरू हो गई है, जो एक उत्साहजनक खबर है। हालांकि, इस प्रक्रिया में समय लग सकता है और जब तक कोई समाधान नहीं निकलता, तब तक इस क्षेत्र में रोजगार को बनाए रखने में मदद के लिए राहत उपाय लागू करना आवश्यक है।’’
जीजेईपीसी के चेयरमैन किरीट भंसाली ने बयान में कहा, ‘‘हमने कारखानों और कारीगरों को व्यस्त रखने के लिए एसईजेड इकाइयों को रिवर्स जॉब वर्क और डीटीए बिक्री की अनुमति देने, अमेरिकी खेप के लिए निर्यात दायित्व अवधि बढ़ाने और वित्तीय तनाव को कम करने के लिए पैकिंग क्रेडिट और कार्यशील पूंजी ऋण पर ब्याज स्थगन प्रदान करने का अनुरोध किया है।’’
उन्होंने कहा कि ये उपाय न केवल नौकरियों की सुरक्षा में मदद करेंगे, बल्कि इस चुनौतीपूर्ण अवधि के दौरान भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता को भी बढ़ावा देंगे।
बैठक के दौरान, परिषद ने भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के समापन तक इस क्षेत्र को मदद के लिए वित्त मंत्री से हस्तक्षेप का अनुरोध किया।
इनमें एसईजेड इकाइयों द्वारा रिवर्स जॉब वर्क और डीटीए बिक्री की अनुमति देना, अमेरिकी खेप के लिए निर्यात दायित्व अवधि बढ़ाना, पैकिंग क्रेडिट और कार्यशील पूंजी ऋण पर ब्याज स्थगन प्रदान करना और निर्यातकों को तरलता प्रदान करना जैसे उपाय शामिल थे।
प्रतिनिधिमंडल ने यह भी अनुरोध किया कि इंडिया ज्वेलरी पार्क को एक औद्योगिक पार्क के रूप में मान्यता दी जाए और इसे बुनियादी ढांचे की सामंजस्यपूर्ण मास्टर सूची में शामिल किया जाए, ताकि इसे औद्योगिक पार्कों पर लागू सभी लाभ मिल सकें।
भाषा राजेश राजेश अजय
अजय

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