अमेरिका का भारत से गैर-शुल्क बाधाएं हटाने का आग्रह

अमेरिका का भारत से गैर-शुल्क बाधाएं हटाने का आग्रह

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  • Publish Date - April 23, 2025 / 02:44 PM IST,
    Updated On - April 23, 2025 / 02:44 PM IST

नयी दिल्ली, 23 अप्रैल (भाषा) अमेरिका ने कई बार भारतीय बाजारों में अपनी वस्तुओं के सामने आने वाली कुछ गैर-शुल्क बाधाओं पर चिंता जताई है।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने 22 अप्रैल को जयपुर में भारत से गैर-शुल्क बाधाओं को हटाने और अपने बाजारों में अधिक पहुंच देने का आग्रह किया।

भारतीय उत्पादों को भी अमेरिका, यूरोपीय संघ (ईयू), चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इन मुद्दों का सामना करना पड़ता है।

गैर-शुल्क बाधाएं ऐसे व्यापार प्रतिबंध हैं जिनमें शुल्क (आयात या निर्यात पर कर या शुल्क) शामिल नहीं होते हैं। ये बाधाएं देशों के बीच पार माल की निर्बाध आवाजाही को प्रभावित करती हैं। गैर-शुल्क उपायों (एनटीएम) और कुछ गैर-शुल्क बाधाओं (एनटीबी) के बीच अंतर करना आवश्यक है।

अधिकांश एनटीएम मानव, पशु या पौधों के स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के उद्देश्य से देशों द्वारा बनाए गए घरेलू नियम हैं। एनटीएम ‘तकनीकी’ उपाय हो सकते हैं जैसे विनियमन, मानक, परीक्षण, प्रमाणन, आयात से पहले निरीक्षण या ‘गैर-तकनीकी’ उपाय जैसे कि कोटा, आयात लाइसेंस, सब्सिडी, सरकारी खरीद प्रतिबंध आदि। जब एनटीएम मनमाने और तर्क से परे हो जाते हैं, तो वे व्यापार के लिए बाधाएं पैदा करते हैं और उन्हें एनटीबी कहा जाता है।

इन बाधाओं से व्यापारियों की लागत बढ़ जाती है। उन्हें गंतव्य देश की अनिवार्य प्रमाणन, परीक्षण या लेबलिंग जैसी आवश्यकताओं का अनुपालन करने के लिए अधिक खर्च करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, एक भारतीय कृषि उत्पाद निर्यातक को कीटनाशक अवशेषों के लिए यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा अनिवार्य प्रयोगशाला परीक्षणों के लिए भुगतान करना पड़ सकता है। निर्यातकों को कभी-कभी विभिन्न देशों के तकनीकी मानकों या पैकेजिंग नियमों के अनुरूप अपने उत्पादों को पुनः डिजायन करने की आवश्यकता होती है।

इससे माल के आने में भी देरी होती है और अनिश्चितताएं बढ़ती हैं। कागजी कार्रवाई, लाइसेंसिंग नियम या सीमाओं पर निरीक्षण करने की जटिल प्रक्रियाएं व्यापार को धीमा कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, कुछ अफ्रीकी देशों के निर्यातकों को सख्त सत्यापन जांच के कारण बंदरगाह पर लंबी देरी का सामना करना पड़ता है।

भारत के कई खाद्य और कृषि उत्पाद, कीटनाशकों के उच्च स्तर, कीटों की मौजूदगी और खुरपका-मुंहपका रोग से संबंधित जांच का सामना करते हैं। इन कारणों से निर्यात खेपों को अस्वीकार कर दिया जाता है और निर्यात से पहले अनिवार्य निरीक्षण किया जाता है।

अमेरिका में विदेश व्यापार बाधाओं पर एक रिपोर्ट में कहा गया कि भारत व्यापार पर तकनीकी बाधाएं (टीबीटी) लगाता है, जैसे अनिवार्य गुणवत्ता नियंत्रण आदेश, तथा उपकरणों के लिए अनिवार्य घरेलू परीक्षण और प्रमाणन आवश्यकताएं। उदाहरण के लिए, भारत डेयरी आयात पर कठोर आवश्यकताएं लागू करता है।

इसके अलावा, डिजिटल व्यापार और इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य पर लगाई गई बाधाएं विभिन्न सेवाओं को प्रभावित करती हैं।

भाषा अनुराग पाण्डेय

पाण्डेय