सप्ताह में 90 घंटे काम करना मुश्किल, गुणवत्ता रखती है मायने : भारतपे सीईओ

सप्ताह में 90 घंटे काम करना मुश्किल, गुणवत्ता रखती है मायने : भारतपे सीईओ

सप्ताह में 90 घंटे काम करना मुश्किल, गुणवत्ता रखती है मायने : भारतपे सीईओ
Modified Date: January 19, 2025 / 04:15 pm IST
Published Date: January 19, 2025 4:15 pm IST

(मौमिता बख्शी चटर्जी)

नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) भारत में 90 घंटे के कार्य सप्ताह को लेकर चल रही बहस के बीच वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी भारतपे के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) नलिन नेगी ने कहा है कि जब कार्यस्थल पर कर्मचारियों के परिणामों और उत्पादकता को मापने की बात आती है तो गुणवत्ता अधिक मायने रखती है, न कि लंबे समय तक काम करना।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतपे में हम काम के घंटों को लेकर अधिक अपेक्षाएं नहीं रखते हैं।

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उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कॉरपोरेट भारत में काम के घंटों को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इससे पहले, बुनियादी ढांचा एवं निर्माण कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के चेयरमैन एस एन सुब्रमण्यन ने रविवार को कर्मचारियों से काम न करा पाने पर खेद व्यक्त किया था।

नेगी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि काम की गुणवत्ता ‘सबसे पहले’ है, न कि घंटों की संख्या।

उन्होंने कहा, “90 घंटे काम करना काफी कठिन होता है। इसलिए मैं कहूंगा कि यह गुणवत्ता के बारे में है… गुणवत्ता मायने रखती है।”

भारतपे के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि कार्य और व्यक्तिगत जीवन में संतुलन को लेकर बहस हमेशा से होती रही है और एक युवा संगठन के रूप में भारतपे का लक्ष्य एक आरामदायक और सक्षम वातावरण प्रदान करना है, जहां कर्मचारी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें।

उन्होंने कहा कि छह साल पुरानी कंपनी भारतपे एक ऐसी संस्कृति का निर्माण करना चाहती है जो कठोर न हो।

नेगी ने कहा, “एक खुश कर्मचारी आपको बहुत कुछ देगा… जो व्यक्ति अपने काम में लगा रहता है और उसका आनंद लेता है, अगर उसके पास कोई जरूरी काम है, तो वह उसे करेगा। आपको इसके लिए उसकी निगरानी करने की जरूरत नहीं है।”

एलएंडटी के चेयरमैन के सप्ताह में 90 घंटे काम करने के सुझाव को लेकर सोशल मीडिया पर कई लोगों ने नाराजगी जताई है। विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गजों ने भी इसपर अपनी राय जताई है।

आरपीजी एंटरप्राइजेज के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने इसको लेकर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा था, “मैं कड़ी मेहनत और समझदारी से काम करने में विश्वास करता हूं, लेकिन जीवन को हमेशा काम करने में बदल देना? यह सफलता नहीं बल्कि थकान का नुस्खा है। कार्य-जीवन संतुलन वैकल्पिक नहीं है, यह आवश्यक है। खैर, यह मेरा दृष्टिकोण है!”

मैरिको लिमिटेड के चेयरमैन हर्ष मारीवाला ने भी ‘एक्स’ पर कहा था, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि कड़ी मेहनत सफलता की रीढ़ है, लेकिन यह काम के घंटों के बारे में नहीं है। यह उन घंटों में लाई जाने वाली गुणवत्ता और जुनून के बारे में है।”

आईटीसी लिमिटेड के चेयरमैन संजीव पुरी ने हाल ही में कहा था कि कर्मचारियों को उनकी क्षमता पहचानने तथा अपना काम अच्छी तरह पूरा करने के लिए सशक्त बनाना, काम के घंटों की संख्या से अधिक महत्वपूर्ण है।

इससे पहले, इन्फोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति ने सुझाव दिया था कि उत्पादकता बढ़ाने के लिए युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क भी सख्त कामकाजी घंटों में विश्वास करते रहे हैं। मस्क ने 2018 में एक पोस्ट में कहा था, “काम करने के लिए कई आसान जगहें हैं, लेकिन कोई भी व्यक्ति सप्ताह में 40 घंटे काम करके दुनिया को नहीं बदल सकता।”

भाषा अनुराग अजय

अजय


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