Chaitra Navratri 2025: बहुत खास है इस बार की चैत्र नवरात्रि, इस तरह से करें घट स्थापना, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

बहुत खास है इस बार की चैत्र नवरात्रि, इस तरह से करें घट स्थापना, Chaitra Navratri 2025: This time Chaitra Navratri is very special, do Ghat establishment in this way

Chaitra Navratri 2025: बहुत खास है इस बार की चैत्र नवरात्रि, इस तरह से करें घट स्थापना, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Gupt Navratri 2025/ Image Credit: IBC24 File

Modified Date: March 26, 2025 / 01:11 pm IST
Published Date: March 26, 2025 1:11 pm IST
HIGHLIGHTS
  • कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 30 मार्च को सुबह 6:30 से 10:22 तक रहेगा।
  • गंगाजल, लौंग, हल्दी, सुपारी और नारियल का उपयोग जरूर करें
  • अभिजीत मुहूर्त का समय 12:01 से 12:50 तक है, जो कलश स्थापना के लिए शुभ माना गया है।

नई दिल्लीः Chaitra Navratri 2025 शक्ति आराधना का पर्व नवरात्र 30 मार्च से प्रारम्भ होगी। प्रारंभिक दिवस के आधार पर माता सिंहवाहिनी हाथी पर सवार होकर आएंगी, हाथी पर ही वापस जाएंगी। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा का विधान है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना या घटस्थापना की जाती है। मान्यता है कि अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त-

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घटस्थापना शुभ मुहूर्त

Chaitra Navratri 2025 नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना या घटस्थापना करना बेहद जरूरी होता है। घटस्थापना के बाद ही पूजा की शुरुआत की जाती है। रविवार 30 मार्च 2025 को सुबह 6:30 से 10:22 तक का समय कलश स्थापना के लिए बेहद शुभ रहेगा। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त को भी कलश स्थापना के लिए शुभ माना गया है। इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:01 से 12:50 तक रहेगा।

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घटस्थापना पूजा विधि

घटस्थापना के लिए सबसे पहले शुद्ध मिट्टी में जौ मिला लें। मां दुर्गा की प्रतिमा के बगल में ही मिट्टी को रखें और इसके ऊपर एक मिट्टी का कलश रखें। कलश में गंगाजल भरकर लौंग, हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा और एक रुपये का सिक्का डालेंते। अब कलश में आम के पत्ते रखकर मिट्टी का ढक्कन लगाकर इसके ऊपर चावल, गेहूं या नारियल रखें। नारियल को रखने से पहले इसमें स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर लाल रंग के कपड़े से लपेटकर कलावा जरूर बांधें। कलश स्थापना के बाद विधि विधान से मां दुर्गा और मां शैलपुत्री की पूजा करें। देवी को सफेद फूल, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, भोग आदि लगाने के बाद घी का दीपक जलाएं और मंत्र उच्चारण करने के बाद आरती करें।

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।


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लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।