Aap Ki Baat: महिला आरक्षण का ब्रह्मास्त्र! क्या ये Modi का मास्टरस्ट्रोक है?

Aap Ki Baat on women's reservation: इस साल मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, लिहाजा आधी आबादी के वोट पर अपनी दावेदारी जताने के लिए क्रेडिट लेने की ये होड़ मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी देखी गई।

Aap Ki Baat: महिला आरक्षण का ब्रह्मास्त्र! क्या ये Modi का मास्टरस्ट्रोक है?

Aap Ki Baat on women's reservation

Modified Date: September 20, 2023 / 12:03 am IST
Published Date: September 20, 2023 12:03 am IST

Aap Ki Baat: आज की तारीख इतिहास में दर्ज हो गई…देश ने देखा कि नए संसद भवन में दिए गए अपने पहले संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश किया, जिसके तहत लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओँ को 33 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान है…ये विधेयक ऐसे वक्त लाया गया है जिस समय 2023 में 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और फिर 2024 में देश के आमचुनाव होने हैं…तो क्या ये मोदी का वो मास्टरस्ट्रोक है जिसका लाभ बीजेपी को मिलेगा, क्या विधेयक का विरोध करना विपक्षियों को भारी पड़ेगा…क्या इस विधेयक के कानून बनने की राह में कोई और रोड़ा है, इसके लिए और क्या संशोधन पहले करने होंगे…?

नई संसद का पहला दिन। पहली कार्यवाही का पहला उद्बोधन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस उद्घोषणा के साथ ही नई संसद में पेश होने वाले सरप्राइजिंग एजेंडे का अटकलबाजी पर विराम लग गया। नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम के इस विधेयक में महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने इस बिल को लोकसभा में पेश किया। लेकिन इसे पेश करते ही सदन में हंगामा हो गया। नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस सांसद अधीर रंजन ने इसे नया बिल बताने पर आपत्ति जताते हुए इसे राजीव गांधी सरकार में पेश किए गया बिल बताया। अधीर रंजन के इस दावे को पहले गृहमंत्री अमित शाह और बाद में कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने भी खारिज किया।

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फिलहाल नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल पेश हो गया है और उस पर कल से सदन में बहस शुरू होगी। सदन में बहस तो कल से शुरू होगी लेकिन सदन के बाहर महिला आरक्षण का क्रेडिट लेने को लेकर दावे-प्रतिदावदारी शुरू हो चुकी है।

इस साल मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, लिहाजा आधी आबादी के वोट पर अपनी दावेदारी जताने के लिए क्रेडिट लेने की ये होड़ मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी देखी गई।

नेताओं के बीच चल रही ये बयानबाजी ये बताती है कि वो आज खुद को महिला हितैषी साबित करने का कोई मौका नहीं चूकना चाहते। लेकिन इतिहास गवाह है कि इन सियासी दलों के निहित सियासी स्वार्थ के चलते ही महिलाएं पिछले 27 सालों से देश और राज्य की सर्वोच्च पंचायत में अपनी मौजूदगी को असरदार बनाने की राह तक रही है। देश की महिलाओं ने इन्हीं सियासी दलों को महिला आरक्षण के खिलाफ कैसी-कैसी दलीलें देतें और हरकत करते देखा है।

बहरहाल बदले सियासी हालात में आज जबकि सभी दल अपनी सियासी मजबूरी के चलते विधेयक को पारित करने के लिए राजी हो गए हैं, ये विधेयक आधी आबादी को उनका वाजिब अधिकार दिलाने में मील का पत्थर साबित होगा।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com