Reported By: Mohandas Manikpuri
,बालोद : Garh Mauli Devi Unique Temple: छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के ग्राम मिर्रीटोला में स्थित गढ़ मौली देवी मंदिर अपनी अनूठी परंपराओं और भक्तों की अटूट आस्था के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर देवी मौली माता को समर्पित है, जिन्हें ग्रामीण कुंवारी देवी मानते हैं। यह मंदिर अपनी विशेष मान्यताओं और परंपराओं के कारण दूर-दूर तक प्रसिद्ध है।
Garh Mauli Devi Unique Temple: मंदिर में स्थापित देवी की मूर्ति स्वयंभू (जमीन से निकली हुई) मानी जाती है और यह कई वर्षों पुरानी है। धमतरी जिले के गंगरेल स्थित मां अंगारमोती को मौली देवी की बड़ी बहन माना जाता है। ग्रामीणों का मानना है कि इस मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। गांव के लोग देवी को रक्षक स्वरूप मानते हैं, जिनकी कृपा से गांव में संकट नहीं आता और शांति बनी रहती है।
Garh Mauli Devi Unique Temple: इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश कई वर्षों से वर्जित है। 12 साल तक की लड़कियों को ही मंदिर परिसर में प्रवेश की अनुमति है। महिलाएं मंदिर के द्वार पर ही पूजा-अर्चना करती हैं। मान्यता है कि मौली देवी स्वयं को कुंवारी मानती थीं इसलिए विवाहित महिलाओं का मंदिर में प्रवेश निषिद्ध है।ग्रामीणों का मानना है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में महिलाओं के मंदिर में प्रवेश से गांव में संकट आ सकता है। इस परंपरा का गांव की महिलाएं भी पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ पालन करती हैं।
Garh Mauli Devi Unique Temple: मंदिर के चारों ओर सुरक्षा दीवार बनी हुई है और आसपास हरियाली है।मंदिर के पास कई पेड़-पौधे लगाए गए हैं, जिन्हें भक्त विशेष मान्यता के साथ पूजते हैं। दूर-दराज से श्रद्धालु गढ़ मौली देवी के दर्शन के लिए यहां आते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि देवी की कृपा से गांव में शांति बनी रहती है और किसी भी प्रकार की आपदा नहीं आती।