रायपुरः छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला लिया है। सरकार को उम्मीद है कि इससे आदिवासियों की नाराजगी दूर हो जाएगी। इस फैसले को आने वाले चुनावों के लिहाज से बड़ा दांव माना जा रहा है।
छत्तीसगढ़ सरकार विपक्षी दलों के पास कोई मुद्दा नहीं छोड़ रही। जिस भी मुद्दे पर सियासी शोर शुरू होता है। कांग्रेस सरकार तुरंत उसकी काट ढूंढ लेती है। ऐसे ही अब आदिवासी आरक्षण के मुद्दे पर भूपेश कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया है। अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 32 फीसदी, अनुसूचित जाति के लिए 13 फीसदी, ओबीसी वर्ग के लिए 27 फीसदी और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगाई है।
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छत्तीसगढ़ सरकार ने आरक्षण के फैसले को अमलीजामा पहनाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र भी बुलाया है। भाजपा आदिवासियों के मुद्दे को हाथ से नहीं जाने देना चाहती, लिहाजा बीजेपी नेता कैबिनेट के फैसले को भाजपा के विरोध प्रदर्शनों का नतीजा बता रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के लिए 29 सीटें आरक्षित हैं। इसके साथ ही बस्तर और सरगुजा की आधी से ज्यादा आबादी आदिवासियों की है। जाहिर है कि आदिवासी वोटरों का साथ सत्ता में वापसी के लिए जरूरी है। यही वजह है कि कांग्रेस, भाजपा सहित सभी दल खुद को आदिवासियों का हितैषी बता रहे हैं।