Bilaspur lok sabha seat ka samikaran kya hain | devendra yadv vs tokhan sahu

Bilaspur Lok Sabha Election 2024: 30 सालों से जीत के इंतज़ार में कांग्रेस क्या इस बार कर पायेगी कोई कमाल? पढ़े बिलासपुर लोकसभा सीट का पूरा समीकरण..

देखा जाएँ तो बिलासपुर राज्य निर्माण के दौरान छत्तीसगढ़ का सबसे शहर हुआ करता था। रायपुर से पहले बिलासपुर ही राज्य का प्रशासनिक केंद्र भी था। बावजूद इसके यह पूरा क्षेत्र विकास की दौड़ में पिछड़ता चला गया।

Edited By :   Modified Date:  May 5, 2024 / 07:45 AM IST, Published Date : May 5, 2024/7:45 am IST

बिलासपुर: तीसरे चरण के मतदान के लिए आज उम्मीदवारों के पास प्रचार-प्रसार का आखिरी मौका है। शाम छह बजे के बाद चुनावी प्रचार का शोरगुल थम जाएगा। 7 मई को आम चुनाव के लिए तीसरे चरण की वोटिंग होगी, (Bilaspur lok sabha seat ka samikaran kya hain) इसमें 12 राज्यों के 94 लोकसभा क्षेत्रों में वोट डाले जाएंगे। चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग रजौरी सीट पर मतदान की तिथि बदल थी। अब इस सीट पर 7 मई को तीसरे चरण में मतदान नहीं होगा। अनंतनाग रजौरी लोकसभा सीट के लिए 25 मई को छठे चरण में वोटिंग होगी।

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सात मई को लोकसभा चुनाव के लिए तीसरे चरण की वोटिंग होगी। अभी तक दो चरणों में 190 सीटों पर मतदान हो चुका है। पहले चरण में 19 अप्रैल को 66.14 फीसदी वोटिंग हुई थी और दूसरे चरण में 26 अप्रैल को 66.71 फीसदी मतदान हुआ था। तीसरे चरण के मतदान के बाद 284 सीटों पर मतदान की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इन तीन फेज के रुझान से अगली सरकार का रुख तय हो जाएगा। सभी राजनीतिक दलों अभी तक हुई वोटिंग में बढ़त बनाने का दावा कर रहे हैं।

एमपी के 9 सीटों पर मतदान

इस बारें में निर्वाचन आयोग ने बताया हैं कि लोकसभा निर्वाचन-2024 के तीसरे चरण में मध्यप्रदेश के जिन 9 लोकसभा संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में मंगलवार 7 मई को सुबह 7 से शाम 6 बजे तक मतदान होना है, वहाँ 5 मई की शाम 6 बजे से चुनाव प्रचार बंद हो जायेगा।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने बताया है कि संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में मतदान समाप्ति के निर्धारित समय के 48 घण्टे पहले से चुनाव प्रचार बंद करने का प्रावधान है। प्रचार-प्रसार समाप्त होने की समय-सीमा के बाद बाहरी क्षेत्र के व्यक्तियों को, जो उस लोकसभा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता नहीं हैं, (3rd phae me kitne seeto par voting hogi) उन्हें वह निर्वाचन क्षेत्र छोड़ना होगा। इसे सुनिश्चित करने के लिए सघन निगरानी अभियान चलाया जाता है।

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तीसरे चरण में मध्यप्रदेश के 9 लोकसभा संसदीय क्षेत्रों मुरैना, भिण्ड (अजा), ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल, राजगढ़ और बैतूल (अजजा) में 7 मई को मतदान होना है।

Bilaspur Loksabha elections results

छग में भी ख़त्म हो जाएगा चुनाव

छत्तीसगढ़ प्रदेश के लिए यह चरण आखिरी चरण होगा। ;इसके साथ हिब यहां के सभी 11 सीटों पर पूरा हो जाएगा। इससे पहले दो अलग अलग चरणों में बस्तर, कांकेर, महासमुंद और राजनांदगांव के लिए मतदान पूरे हो चुके हैं। सात मई को होने वाले मतदान में जांजगीर-चाम्पा, कोरबा, बिलासपुर, सरगुजा, रायगढ़, दुर्ग और राजधानी रायपुर की सीटें हैं।

बात करें बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र की तो यह सीट कांग्रेस के लिए दूर की कौड़ी साबित होती रहे हैं। पिछले 30 साल से यहाँ कांग्रेस कभी भी जीत दर्ज नहीं कर पाई हैं। इस तरह बिलासपुर सीट तीन दशक से भी भाजपा का अभेद गढ़ बना हुआ हैं। इस बार पार्टी ने भिलाई के नेता देवेंद्र यादव पर दांव खेला हैं। (Bilaspur lok sabha seat ka samikaran kya hain) तोखन साहू के खिलाफ कांग्रेस ने देवेंद्र यादव को उतार कर क्षेत्र में जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की हैं। खासकर ओबीसी समुदाय को अपने पाले में लेने वाले के लिए बिलासपुर की सीट आसान हो जाएगी। देखना दिलचस्प होगा कि जो कमाल अबतक स्थानीय कांग्रेस के नेता नहीं कर पाए क्या वह युवा नेता देवेंद्र यादव कर पाएंगे।

जानें बिलासपुर लोकसभा के बारें में

बता दें कि सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित इस लोकसभा सीट में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। जिसमें बिलासपुर, बेलतरा, बिल्हा, मस्तूरी (एससी), कोटा, तखतपुर, लोरमी और मुंगेली(एससी) विधानसभा सीट शामिल हैं। बिलासपुर लोकसभा की कुल जनसंख्या करीब 24,50,000 है, जिसमें 20 लाख 85 हजार के करीब मतदाता है।
बीजेपी के गढ़ के रूप में स्थापित इस किले को भेदने के लिए कांग्रेस ने अपने भिलाई के युवा विधायक देवेंद्र यादव को चुनावी रण में उतारा है जबकि बीजेपी ने एकबार फिर सामाजिक पैठ रखने वाले लोरमी क्षेत्र से पूर्व विधायक तोखन साहू पर भरोसा जताया है।

सियासी जातिगत समीकरण के लिहाज से OBC, SC और ST मतदाता यहां प्रत्याशी की किस्मत का फैसला करते हैं। ओबीसी वर्ग का यहां ज्यादा दबदबा है। इसमें साहू व कुर्मी की जनसंख्या सबसे ज्यादा है। ओबीसी में यादव भी यहां प्रभावी भूमिका में हैं। बिलासपुर में 70 प्रतिशत ग्रामीण, 30 प्रतिशत शहरी आबादी है।

क्या हैं प्रमुख मुद्दे

देखा जाएँ तो बिलासपुर राज्य निर्माण के दौरान छत्तीसगढ़ का सबसे शहर हुआ करता था। रायपुर से पहले बिलासपुर ही राज्य का प्रशासनिक केंद्र भी था। बावजूद इसके यह पूरा क्षेत्र विकास की दौड़ में पिछड़ता चला गया। अनियोजित तरीके से बसे इस शहर में विकास की अपार संभावनाएं हैं लेकिन अनदेखी और राजनीतिक अकर्मण्यता के चलते बिलासपुर आज भी कई प्रमुख समस्यायों से गुजर रही हैं। इनमें पूर्ण विकसित एयरपोर्ट का विस्तार, एयर कनेक्टिविटी बढ़े, नई रेल लाइन के साथ रेलवे का विस्तार, औद्योगिक विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार, ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों का डेवलपमेंट प्लान और अरपा, मनियारी जैसे प्रमुख नदियों का संरक्षण जैसी प्रमुख मुद्दे हैं।

देखें कब कौन रहा सांसद

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