Kiranmayee Nayak Statement: “महिलाएं भी कर रही हैं गंभीर अपराध, पतियों की हत्या तक में संलिप्त”, राजा रघुवंशी हत्याकांड पर राज्य महिला आयोग अध्यक्ष किरणमयी नायक का बड़ा बयान

महिलाएं भी कर रही हैं गंभीर अपराध, पतियों की हत्या तक में संलिप्त...Kiranmayee Nayak Statement: Raja Raghuvanshi murder case on State Women

Edited By :   |  

Reported By: Jitendra Thawait

Modified Date: June 16, 2025 / 08:47 PM IST
,
Published Date: June 16, 2025 8:47 pm IST
Kiranmayee Nayak Statement: “महिलाएं भी कर रही हैं गंभीर अपराध, पतियों की हत्या तक में संलिप्त”, राजा रघुवंशी हत्याकांड पर राज्य महिला आयोग अध्यक्ष किरणमयी नायक का बड़ा बयान
HIGHLIGHTS
  • बिलासपुर में महिला आयोग की जनसुनवाई
  • बिलासपुर में 31 मामलों पर हुई सुनवाई,
  • किरणमयी नायक ने महिलाओं के अपराध पर दिया बयान

बिलासपुर: Kiranmayee Nayak Statement: छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक सोमवार को बिलासपुर पहुंचीं जहां उन्होंने आयोग द्वारा आयोजित जनसुनवाई कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कुल 31 मामलों की सुनवाई की और कई संवेदनशील प्रकरणों पर अहम फैसले लिए।

Read More : BJP Training Camp Pachmarhi: “नेता बनो पर अहंकारी नहीं, तुष्टिकरण नहीं राष्ट्र निर्माण ज़रूरी”, बीजेपी प्रशिक्षण वर्ग में नेताओं को मिला राजनाथ सिंह का संदेश

Kiranmayee Nayak Statement: जनसुनवाई के दौरान एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें एक युवक ने फर्जी पुलिस आरक्षक बनकर एक महिला से विवाह कर लिया था। आयोग के हस्तक्षेप से इस मामले में दोनों पक्षों के बीच सुलहनामा कराया गया। वहीं एक अन्य मामला एक शिक्षक से जुड़ा था जो अपनी पत्नी और बच्चों को छोड़कर किसी अन्य महिला के साथ रह रहा था। किरणमयी नायक ने इस पर सिविल सेवा नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए उसके निलंबन की अनुशंसा की।

Read More : Shajapur Rape News: पत्नी से दुष्कर्म, केस वापस नहीं लिया तो पति को दे दिया खौफनाक सजा, जानकार कांप जाएगा रूह

Kiranmayee Nayak Statement: मीडिया से बातचीत में किरणमयी नायक ने सोनम रघुवंशी केस का हवाला देते हुए कहा कि अपराध केवल पुरुष ही नहीं करते महिलाएं भी दोषी हो सकती हैं। इसलिए महिला जेलों की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में कई महिलाएं बदले की भावना से गंभीर अपराधों में लिप्त हो रही हैं। कुछ मामलों में तो पत्नियों द्वारा ही पतियों की हत्या किए जाने की घटनाएं सामने आई हैं। इसके पीछे उन्होंने बढ़ती अपेक्षाएं जबरन शादियां और सामाजिक दबाव को बड़ी वजह बताया।

Read More : MP College Scam News: 100 से ज्यादा कॉलेजों में फर्जीवाड़ा, हाईकोर्ट ने DGP से लेकर प्रमुख सचिव तक भेजा नोटिस, चार हफ्ते में मांगा जवाब

Kiranmayee Nayak Statement: लव जिहाद जैसे मुद्दे पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने स्पष्ट किया कि अब तक आयोग में लव जिहाद का कोई मामला सामने नहीं आया है। हां अंतरधार्मिक विवाहों के मामले जरूर आते हैं जिनकी नियमों के अनुसार सुनवाई की जाती है। जब पुरुषों के लिए अलग कानून न होने पर सवाल किया गया तो उन्होंने स्वीकारा कि और कहा की यह सच है कि पुरुषों के लिए अलग कानून नहीं है लेकिन ऐसा नहीं है कि उन्हें कोई कानूनी सहायता नहीं मिलती।

"जनसुनवाई कार्यक्रम" क्या होता है और इसमें कौन-कौन शामिल हो सकता है?

जनसुनवाई कार्यक्रम एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आम नागरिक अपनी समस्याओं को सीधे संबंधित आयोग या अधिकारियों के सामने रख सकते हैं। इसमें महिलाएं घरेलू हिंसा, विवाह संबंधी विवाद, धोखाधड़ी, उत्पीड़न जैसे मामलों को आयोग के सामने प्रस्तुत कर सकती हैं।

"महिला आयोग" को शिकायत कैसे दर्ज कराई जा सकती है?

महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराने के लिए पीड़िता स्वयं उपस्थित होकर, डाक द्वारा या ऑनलाइन माध्यम से आवेदन दे सकती है। शिकायत दर्ज करने के बाद आयोग जांच कर उचित कार्रवाई करता है।

क्या "लव जिहाद" से जुड़े मामले महिला आयोग के पास आते हैं?

किरणमयी नायक के अनुसार अब तक छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में लव जिहाद का कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है। हालांकि अंतरधार्मिक विवाहों से जुड़े विवादों की जांच आयोग नियमों के तहत करता है।

अगर कोई महिला पति को छोड़कर किसी और के साथ रह रही हो, तो "महिला आयोग" क्या कर सकता है?

महिला आयोग दोनों पक्षों को बुलाकर मामला समझता है। अगर महिला दोषी पाई जाती है तो उचित सलाह, चेतावनी या कानूनी मार्ग सुझाया जाता है। हालिया मामलों में यह भी देखा गया है कि कुछ महिलाएं गंभीर अपराधों में लिप्त हो रही हैं।

क्या "पुरुषों के लिए अलग कानून" मौजूद हैं जो महिला अत्याचार से रक्षा कर सकें?

किरणमयी नायक ने स्वीकार किया कि पुरुषों के लिए अलग कानून नहीं हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें कानूनी सहायता नहीं मिलती। पुरुष भी न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।