BJP leaders preparing to contest from new seat in 2023 assembly elections

नेता मांगे सेफ सीट… कैसे मिलेगी जीत? BJP के दिग्गज तलाश रहे नई सियासी ‘जमीन’!

BJP के दिग्गज तलाश रहे नई सियासी 'जमीन'! BJP leaders preparing to contest from new seat in 2023 assembly elections

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:22 PM IST, Published Date : September 24, 2022/12:11 am IST

रायपुरः BJP leaders preparing to contest छत्तीसगढ़ में 15 साल तक सरकार चलाने के बाद भाजपा महज 15 सीटों पर सिमटी गई। भाजपा इस वक्त बदलाव के दौर में है। एक तरफ पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बस्तर में जीत की राह पक्की करने दौरा कर रहे हैं। वहीं पार्टी के कद्दावर नेता भी पिछली हार से सबक लेते हुए अपने लिए सुरक्षित सीट की जुगत लगा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस का दावा है कि भाजपा में इतनी अंतरकलह है कि कोई भी सीट, कोई भी जुगत काम ना आएगी।

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BJP leaders preparing to contest छत्तीसगढ़ में बदलाव के दौर में जुटी भाजपा में पार्टी के कद्दावर नेता भी पिछली हार से सबक लेते हुए अपने लिए सुरक्षित सीट की जुगत लगा रहे हैं। मसलन जांजगीर जिले के चंद्रपुर सीट पर जूदेव परिवार की नजर है, युद्धवीर सिंह के निधन के बाद उनकी पत्नी संयोगिता सिंह जूदेव ने यहां अपनी पकड़ जमा ली है। वहीं युवा नेता ओपी चौधरी भी खरसिया के बजाय कोई दूसरा विकल्प तलाश रहे। कुनकुरी से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में है। वहीं रायगढ़ विधानसभा सीट प्रबल प्रताप जूदेव और पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल का नाम सामने आ रहा है। इसके अलावा पूर्व मंत्री सत्यानंद राठिया लैलूंगा विधानसभा से लड़ने की तैयारी में हैं।

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इधर बस्तर में लंबे समय तक प्रदेश अध्यक्ष रहे पूर्व मंत्री विक्रम उसेंडी भी अपनी परंपरागत सीट अंतागढ़ के बजाए कांकेर से चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं तो प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप जो नारायणपुर विधानसभा सीट से लगातार 3 विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं वो बस्तर विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं। खुद कश्यप परिवार ने संगठन के भीतर कई बार इस सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा भी जताई है। इधर,चित्रकूट विधानसभा सीट पर भी बीजेपी लगातार हारती आई है। लेकिन यहां इस बार सीट पर कांग्रेस के भीतर गुटबाजी को देखते हुए, चित्रकूट सीट के लिए बैदूराम कश्यप दावेदारी ठोक चुके हैं। इधर, रायपुर जिले में साहू समाज के मोती राम साहू जिन्होंने पिछला चुनाव भूपेश बघेल के खिलाफ पाटन से लड़ा था, इस बार रायपुर ग्रामीण से चुनाव लड़ने के मूड में हैं । वहीं धरसींवा से पिछला चुनाव हार चुके देवजी पटेल भी रायपुर ग्रामीण से लड़ना चाह रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के पुत्र और पूर्व सांसद अभिषेक सिंह कवर्धा से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। एक तरफ सीटों को लेकर नेता सूटेबल सीट पर दाव ठोक रहे हैं तो दूसरी तरफ भाजपा हर विधानसभा में सबसे कमजोर बूथों पर कार्यकर्ताओं को एक्टिव करने में जुटी है।

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कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा कि भाजपा में गुटबाजी के डर के चलते ही नेता सुरक्षित सीट तलाश रहे हैं। बड़ा सवाल ये कि जिस दौर से बीजेपी गुजर रही है उसमें विधानसभा चुनाव में कई चेहरों के बदले जाने की संभावना है। ऐसे में पार्टी के पुराने दिग्गजों को उनकी इच्छित नई सीट से मौका मिल पाएगा? और अगर मौका मिला तो क्या ये कांग्रेस के लिये चुनौतियां बढ़ाएगा?