Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ विधानसभा में जनविश्वास विधेयक पारित, बना ऐसा करने वाला देश का दूसरा राज्य, जानिए क्या है यह विधेयक

छत्तीसगढ़ विधानसभा में जनविश्वास विधेयक पारित, CG News : Public Trust Bill passed in Chhattisgarh Assembly, Read

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  • Publish Date - July 18, 2025 / 10:48 PM IST,
    Updated On - July 18, 2025 / 11:32 PM IST

CG Vidhansabha News

HIGHLIGHTS
  • छोटे तकनीकी उल्लंघनों पर सिर्फ जुर्माना लगेगा, आपराधिक मुकदमे नहीं होंगे।
  • छोटे कारोबारियों और आम नागरिकों को अदालतों के चक्कर से राहत मिलेगी।
  • मध्य प्रदेश के बाद ये विधेयक लाने वाला दूसरा राज्य बना छत्तीसगढ़।

रायपुर: Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज जनविश्वास विधेयक ध्वनिमत से पारित हुआ। यह विधेयक राज्य में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और ईज ऑफ लिविंग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इस ऐतिहासिक विधेयक का उद्देश्य अंग्रेजों के समय से चले आ रहे कई ऐसे कानूनों को संशोधित करना है, जो नागरिकों और कारोबारियों द्वारा की गई छोटी-मोटी त्रुटियों को भी आपराधिक कृत्य की श्रेणी में शामिल थे। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस विधेयक को विकसित भारत-विकसित छत्तीसगढ़ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लाए गए भारतीय न्याय संहिता की तर्ज पर, छत्तीसगढ़ अब मध्य प्रदेश के बाद दूसरा राज्य बन गया है, जिसने जनविश्वास विधेयक पारित किया है। इस विधेयक का उद्देश्य राज्य में रोजगार व्यवसाय को आसान बनाने के साथ-साथ गैर अपराधिक श्रेणी के मामलों में व्यापारियों एवं आम नागरिकों न्यायालयीन मुकदमे से संरक्षित करना और एक सुगम व्यावसायिक एवं जिम्मेदारी पूर्ण वातावरण तैयार करना है। यह विधेयक दंड देने के बजाय व्यवसाय को दिशा देने और ऐसी नीति बनाने में सहायक है, जो व्यावहारिक और संवेदनशील हों।

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Chhattisgarh News: इस विधेयक का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह आम नागरिकों और कारोबारियों द्वारा किए गए छोटे-मोटे तकनीकी उल्लंघनों को आपराधिक श्रेणी से हटाकर जुर्माने (शास्ति) के दायरे में लाता है। इससे अनावश्यक मुकदमेबाजी और अदालतों पर बोझ कम होगा, साथ ही नागरिकों को छोटी गलतियों के लिए आपराधिक मामलों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस विधेयक में छत्तीसगढ़ राज्य के नगरीय प्रशासन विभाग, नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम, सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, छत्तीसगढ़ औद्योगिक संबंध अधिनियम, और छत्तीसगढ़ सहकारिता सोसायटी अधिनियम से संबंधित 8 अधिनियमों के 163 प्रावधानों में बदलाव किया गया है। विधेयक का लक्ष्य उद्यमियों को नियामकीय सूचनाओं से संबंधित देरी के लिए आपराधिक मुकदमे के डर से मुक्ति दिलाना है। अब ऐसे मामलों में केवल प्रशासकीय जुर्माना लगेगा, जिससे व्यापार व्यवसाय में आसानी होगी। विधेयक में छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम 1915 के प्रावधान में भी संशोधन किया गया है। सार्वजनिक स्थल पर शराब के उपभोग के मामले में पहली बार सिर्फ जुर्माना और इसकी पुनरावृत्ति के मामले में जुर्माना और कारावास का प्रावधान किया गया है।

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इस पर भी नए प्रावधान

इसी तरह नगरीय प्रशासन विभाग के अधिनियम के तहत मकान मालिक द्वारा किराया वृद्धि की सूचना नहीं दिए जाने के मामले में आपराधिक मामला दर्ज किए जाने के प्रावधान को संशोधित कर अब अधिकतम 1,000 रुपये की शास्ति का प्रावधान किया गया है। इसी तरह किसी सोसायटी द्वारा वार्षिक प्रतिवेदन दाखिल करने के मामले में विलंब की स्थिति में आपराधिक कार्रवाई के प्रावधान को संशोधित कर नाममात्र के आर्थिक दंड में बदल दिया गया है। विशेषकर महिला समूहों के मामलों में इसे और भी न्यूनतम रखा गया है। यदि कोई संस्था गलती से सहकारी शब्द का उपयोग कर लेती थी, तो उसे आपराधिक मुकदमे और दंड के प्रावधान के स्थान पर अब केवल प्रशासनिक आर्थिक दंड का प्रावधान है

जनविश्वास विधेयक क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?

यह एक कानून संशोधन विधेयक है जिसका उद्देश्य गैर-गंभीर और तकनीकी त्रुटियों को अपराध की श्रेणी से हटाकर प्रशासकीय दंड तक सीमित करना है। इसका उद्देश्य व्यापार, रोजगार और जीवन को सरल बनाना है।

कौन-कौन से अधिनियमों में बदलाव किए गए हैं?

इस विधेयक में नगरीय प्रशासन, नगर एवं ग्राम निवेश, सोसायटी पंजीकरण, औद्योगिक संबंध, सहकारिता अधिनियम और छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम 1915 सहित कुल 8 अधिनियमों में 163 बदलाव किए गए हैं।

क्या अब सार्वजनिक स्थान पर शराब पीना अपराध नहीं है?

पहली बार ऐसा करने पर केवल जुर्माना लगेगा। दोबारा ऐसा करने पर जुर्माने के साथ कारावास का प्रावधान रहेगा।

मकान किराया बढ़ाने पर सूचना न देने पर क्या होगा?

अब सिर्फ ₹1,000 तक का जुर्माना लगेगा। पहले इस पर आपराधिक मामला दर्ज होता था।

महिला समूहों या सोसायटीज को क्या राहत मिलेगी?

सोसायटी द्वारा रिपोर्ट समय पर न देने पर अब मामूली जुर्माना लगेगा। महिला समूहों के लिए दंड और भी न्यूनतम रखा गया है।