शह मात The Big Debate: सियासत, धान और किसान.. खरीदी से पहले घमासान! किसानों के मुद्दे पर खुला विरोध और संघर्ष का मोर्चा, क्या समर्थन मूल्य के अनुपात में बढ़नी चाहिए धान की कीमत?

सियासत, धान और किसान.. खरीदी से पहले घमासान! Checkmate The Big Debate: Open protest and struggle on farmers' issue

शह मात The Big Debate: सियासत, धान और किसान.. खरीदी से पहले घमासान! किसानों के मुद्दे पर खुला विरोध और संघर्ष का मोर्चा, क्या समर्थन मूल्य के अनुपात में बढ़नी चाहिए धान की कीमत?
Modified Date: October 10, 2025 / 11:58 pm IST
Published Date: October 10, 2025 11:38 pm IST

रायपुरः सरकार ने इस साल धान खरीदी को लेकर निर्णय ले लिया है। किस दर पर, किस प्रक्रिया से, कितना धान खऱीदना है ये तय हो चुका है। इसी को लेकर बयानों से सियासी तूफान खड़ा किया जा रहा है। धान खरीदी पर सियासी बयानों के बीच कुछ अहम सवाल हैं, जो इन दिनों छत्तीसगढ़ की फिजाओं में घूम रहा है।

छत्तीसगढ़ में खरीफ सीजन 2025-26 के लिए धान खरीदी शुरू होने से पहले इस बार भी धान और किसान के मुद्दे पर विरोध और संघर्ष का मोर्चा खुल चुका है। रायपुर में साय कैबिनेट की बैठक में, राज्य में धान खरीदी पर स्थिति साफ हो गई। राज्य में 15 नवंबर से 31 जनवरी तक धान खरीदी होगी। किसानों से 3100 रु प्रति क्विंटल की दर से कुल 21 क्विंटल धान खऱीदा जाएगा। जिसके लिए ऐग्री पोर्टल पर, 31 अक्टूबर तक पंजीयन होगा। दूसरी तरफ भारतीय किसान संघ ने ऐलान किया कि, वो धान खरीदी को लेकर 13 अक्टूबर को CM निवास घेरेंगे। किसान संघ की सबसे बड़ी मांग है कि किसानों से प्रति क्विंटल 3286 रूपये में धान खरीदा जाए।

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इधर, कांग्रेस ने भारतीय किसान संघ के विरोध और मांग का फौरन समर्थन करते हुए कहा कि, किसान तो सरकार से नाराज है ही, अब बीजेपी-RSS से जुड़ा भारतीय किसान संघ भी, किसान हित के लिए सरकार के विरोध की तैयारी कर रहा है। PCC चीफ दीपक बैज ने मांग दोहराते हुए कहा कि, धान खरीदी एक नवंबर से शुरू की जाए और किसानों को प्रति क्विंटल 3286 रुपए का दाम दिया जाएवहीं विपक्ष के वार पर मंत्री केदार कश्यप में तंज कसते हुए कहा कि धान खरीदी का भुगतान, किश्तों में करने वाले हमे ज्ञान ना दें। कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की तारीख क्या हो और प्रति क्विंटल धान के दाम क्या हों इसे लेकर विपक्ष के साथ-साथ अब RSS का किसान विंग भी एक स्वर में मांगों पर मोर्चा खोल चुका हैसवाल ये है कि धान के किसान किसके साथ खड़े हैं, क्या चाहते हैं?


लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।