‘छत्तीसगढ अंजोर विजन 2047’ राज्य को वर्ष 2047 तक विकसित छत्तीसगढ़ बनाने का स्पष्ट रोडमैप: साय

'छत्तीसगढ अंजोर विजन 2047' राज्य को वर्ष 2047 तक विकसित छत्तीसगढ़ बनाने का स्पष्ट रोडमैप: साय

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  • Publish Date - December 14, 2025 / 10:50 PM IST,
    Updated On - December 14, 2025 / 10:50 PM IST

रायपुर, 14 दिसंबर (भाषा) छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन रविवार को कहा कि ‘छत्तीसगढ अंजोर विजन 2047’ राज्य को वर्ष 2047 तक विकसित बनाने का एक स्पष्ट रोडमैप है।

साय ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन चर्चा के दौरान कहा कि यह दस्तावेज आने वाले वर्षों में राज्य के विकास की दिशा तय करेगा।

यह चर्चा मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों की अनुपस्थिति में हुई, क्योंकि उन्होंने सत्र के पहले दिन की कार्यवाही का बहिष्कार करने की घोषणा की थी।

इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर ने विभिन्न क्षेत्रों में कमियों को उजागर करते हुए अपनी ही सरकार को घेरने की कोशिश की और सरकार से उन पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।

इस अवसर को ऐतिहासिक बताते हुए, मुख्यमंत्री ने सदन के सभी सदस्यों से राज्य के अतीत, वर्तमान उपलब्धियों और भविष्य के लक्ष्यों पर विचार करते हुए एक विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण में सक्रिय भागीदार बनने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि आज का दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि 14 दिसंबर 2000 को राजकुमार कॉलेज के जशपुर हॉल में छत्तीसगढ़ विधानसभा की पहली बैठक आयोजित हुई थी।

साय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत बनाने के लक्ष्य के अनुरूप हमने भी विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण का लक्ष्य तय किया है। विकसित छत्तीसगढ़ की यात्रा के लिए हमने कुछ महत्वपूर्ण चरण बनाये हैं। हमने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए समय अवधि तय की है। जैसे वर्ष 2030 तक हम निकटवर्ती लक्ष्य हासिल करेंगे। इसी तरह साल 2035 तक मध्यवर्ती और 2047 तक दीर्घकालिक लक्ष्य हासिल करेंगे।”

साय ने कहा, ”छत्तीसगढ़ अंजोर विजन डाक्यूमेंट जनभागीदारी का एक बेहतरीन उदाहरण है। इसे तैयार करने के लिए हमने किसान, युवा, महिला, उद्यमी, कारोबारी समेत समाज के हर वर्ग से सुझाव मांगे। मुझे स्वयं उनसे प्रत्यक्ष बातचीत करने का मौका मिला। इस अंजोर विजन में हमने शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, अधोसंरचना जैसे 13 क्षेत्रों को चिन्हित करके इनके विकास के लिए 10 मिशन गठित करने का निर्णय लिया।”

मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार के दो साल की कल्याणकारी पहलों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस दौरान गरीबों, किसानों, महिलाओं और हाशिए पर पड़े वर्गों के लिए कई योजनाएं लागू की गई हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की दृष्टि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संकल्प और सुरक्षा बलों की हिम्मत की वजह से नक्सलवाद अपनी आखिरी सांसें ले रहा है और राज्य मार्च 2026 तक इस खतरे को खत्म करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

साय ने कहा कि ‘इको-टूरिज्म’, बस्तर पंडुम और बस्तर ओलंपिक खेल जैसे आयोजन बस्तर क्षेत्र को एक नयी पहचान दे रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने राज्य में औद्योगिक विकास को लेकर कहा, ”व्यापार और उद्योग के लिए नई औद्योगिक नीति लागू की गई है। अब तक आठ लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। लॉजिस्टिक पार्क, एयर कार्गो सुविधा और औद्योगिक पार्क स्थापित किए गए हैं। स्थानीय रोजगार को बढ़ावा दिया जा रहा है। हमारी सरकार ने दो साल में 10 हजार से अधिक बेटी बेटा को सरकारी नौकरी दी है। ऊर्जा क्षेत्र में साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।”

इससे पहले, चर्चा शुरू करते हुए राज्य के वित्त मंत्री ओ पी चौधरी ने कहा, ”छत्तीसगढ़ अंजोर 2047 केवल एक नीति दस्तावेज नहीं, बल्कि अगले 25 वर्षों में राज्य को समृद्ध, आत्मनिर्भर और समावेशी विकास की दिशा में ले जाने का संकल्प है।”

उन्होंने कहा कि यह भारत की आज़ादी के 100 वर्ष पूर्ण होने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है, जिसमें छत्तीसगढ़ की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय विशेषताओं को केंद्र में रखा गया है।

चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि विजन डॉक्यूमेंट में महिला सशक्तिकरण, कानून व्यवस्था, गरीबी उन्मूलन और सामाजिक कल्याण और अन्य मुद्दों का जिक्र नहीं है। हालांकि, उन्होंने सरकार की योजना की तारीफ की।

चंद्राकर ने छत्तीसगढ़ के 44 प्रतिशत हिस्से के जंगल होने के दावों को गुमराह करने वाला बताया और आरोप लगाया कि खनन और अन्य गैर-वन उपयोगों के लिए लीज पर दी गई जमीन को कागज़ों पर अभी भी जंगल की जमीन दिखाया जा रहा है।

भाजपा विधायक ने लगभग 53 हजार लंबित राजस्व मामलों को लेकर कहा कि इनमें से कुछ मामले दो दशकों से लंबित हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि 24 घंटे पानी की आपूर्ति और अमृत जैसी शहरी योजनाएं फेल हो गई हैं।

सार्वजनिक स्वास्थ्य को लेकर उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में अभी भी क्षय रोग (टीबी) और फाइलेरिया के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं और इन बीमारियों को खत्म करने के लिए एक समर्पित, मिशन-मोड कार्यक्रम की कमी है।

चंद्राकर ने ‘मेड इन छत्तीसगढ़’ को और मजबूत करने की भी बात कही और चेतावनी दी कि जब तक कौशल विकास और औद्योगिक नीतियां स्थानीय युवाओं के लिए नौकरियां पैदा नहीं करेंगी, तब तक विज़न 2047 सिर्फ़ एक सपना ही रहेगा।

विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से बात करते हुए, राज्य के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि विज़न 2047 पर विधानसभा में दिन भर चली चर्चा राज्य के भविष्य के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाती है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी कांग्रेस की अनुपस्थिति छत्तीसगढ़ के विकास के प्रति उनकी चिंता की कमी को दिखाती है।

साव ने कहा कि विपक्ष द्वारा चर्चा का बहिष्कार यह दर्शाता है कि राज्य के भविष्य को आकार देने में उनकी बहुत कम दिलचस्पी है। उन्होंने आरोप लगाया कि इतिहास बताता है कि कांग्रेस सरकारों ने छत्तीसगढ़ के लिए, अलग राज्य की मांग के दौरान भी, कुछ भी खास नहीं किया।

साव ने कहा, ‘उन्होंने कभी छत्तीसगढ़ की गरीबी, भूख और बीमारी को नहीं देखा। यह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी थे जिन्होंने इन सच्चाइयों को पहचाना और छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनाया।’

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ अब तेज़ी से तरक्की कर रहा है और विज़न 2047 एक विकसित छत्तीसगढ़ बनाने के लिए एक रोडमैप का काम करता है।

भाषा संजीव अमित

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