छत्तीसगढ़ : कृषि उर्वरकों और बीजों की कमी को लेकर विधानसभा में कांग्रेस का हंगामा

छत्तीसगढ़ : कृषि उर्वरकों और बीजों की कमी को लेकर विधानसभा में कांग्रेस का हंगामा

छत्तीसगढ़ : कृषि उर्वरकों और बीजों की कमी को लेकर विधानसभा में कांग्रेस का हंगामा
Modified Date: July 14, 2025 / 05:14 pm IST
Published Date: July 14, 2025 5:14 pm IST

रायपुर, 14 जुलाई (भाषा) छत्तीसगढ़ विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने खरीफ मौसम के दौरान राज्य में बीजों और उर्वरकों की कमी को लेकर सोमवार को हंगामा किया और इस विषय पर काम रोककर चर्चा कराने की मांग की।

विधानसभा अध्यक्ष ने जब विपक्ष के स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की मांग को अस्वीकार कर दिया तब कांग्रेस विधायक सदन के बीचों-बीच अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए।

सदन में शून्यकाल के दौरान विपक्ष के नेता चरण दास महंत ने यह मुद्दा उठाया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस के अन्य सदस्यों ने कहा कि राज्य सरकार खरीफ फसल सीजन-2025 के लिए उर्वरकों और बीजों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने में विफल रही है। उन्होंने इस विषय पर स्थगन प्रस्ताव पेश कर चर्चा की मांग की।

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कांग्रेस नेताओं ने कहा, ‘‘राज्य में डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) और यूरिया उर्वरकों की भारी कमी है। खरीफ 2025 सीजन के लिए डीएपी वितरण का लक्ष्य 3.10 लाख टन रखा गया था, जो पिछले खरीफ 2024 सीजन से 30,000 टन कम है। चालू सीजन में अब तक केवल 1.01 लाख मीट्रिक टन की आपूर्ति हो पाई है।’’

उन्होंने कहा कि यूरिया वितरण का लक्ष्य 7.12 लाख टन था, लेकिन केवल 3.59 लाख टन की आपूर्ति हुई है। इन दोनों उर्वरकों की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में नहीं की गई।

कांग्रेस का आरोप है कि किसानों के विरोध के बीच, राज्य सरकार ने छलपूर्वक डीएपी का लक्ष्य तीन लाख दस हजार मीट्रिक टन से संशोधित कर केवल एक लाख तीन हजार टन कर दिया। राज्य सरकार उर्वरक का कृत्रिम संकट पैदा करके धान की पैदावार कम करना चाहती है, इसलिए उर्वरक और बीज कम मात्रा में दिए जा रहे हैं।

उन्होंने दावा किया कि धान के बीज की मांग 4,32,159 क्विंटल थी, लेकिन सहकारी समितियों में इसका भंडारण केवल 3,83,169 क्विंटल है।

विपक्ष ने दावा किया कि निजी क्षेत्र में उर्वरक उपलब्ध हैं, लेकिन सहकारी समितियों में उर्वरकों की कमी का फायदा उठाकर निजी दुकानदार इसकी कालाबाजारी कर रहे हैं।

विपक्षी सदस्यों ने कहा कि राज्य में 40.10 लाख किसान परिवार हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत लघु एवं सीमांत श्रेणी में आते हैं। लघु एवं सीमांत किसान कृषि ऋण की राशि से सहकारी समितियों से उर्वरक लेते हैं। इसलिए, इन किसानों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने दावा किया कि राज्य में उर्वरक और बीज की कमी के लिए ‘डबल इंजन सरकार’ (केंद्र और राज्य में भाजपा शासन) पूरी तरह से जिम्मेदार हैं।

कांग्रेस नेताओं के आरोपों का जवाब देते हुए राज्य के कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि चूंकि फॉस्फेटिक उर्वरकों की उपलब्धता मुख्य रूप से आयात पर आधारित है और मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए आयातित फॉस्फेटिक उर्वरकों की आपूर्ति प्रभावित होने की संभावना है।

नेताम ने बताया कि इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने वैकल्पिक उर्वरकों की व्यवस्था और किसानों को उनके उपयोग के प्रति जागरूक करने की प्रक्रिया बहुत पहले ही शुरू कर दी थी।

नेताम के जवाब के बाद विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।

मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने इस विषय पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया और सदन में अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए।

हंगामे के बीच, अध्यक्ष ने विधानसभा की कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी। सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होने पर, अध्यक्ष ने विपक्षी सदस्यों के निलंबन की घोषणा की तथा बाद में निलंबन को रद्द कर दिया।

भाषा

संजीव, रवि कांत रवि कांत


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