Raipur News: आठवीं पास को अपना PA बनाना चाहते थे छत्तीसगढ़ के ये कैबिनेट मंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग ने किया इनकार

Raipur News : छत्तीसगढ़ सचिवालय सेवा भर्ती नियम के अनुसार सीधी भर्ती के तृतीय श्रेणी के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12वीं पास निश्चित है। जबकि तबरेज आलम की शैक्षणिक योग्यता आठवीं पास है।

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  • Publish Date - November 9, 2025 / 07:12 PM IST,
    Updated On - November 9, 2025 / 09:39 PM IST
HIGHLIGHTS
  • 12वीं पास नहीं होने के कारण नहीं हो पाएगी तबरेज आलम की नियुक्ति
  • तबरेज आलम की शैक्षणिक योग्यता आठवीं पास
  • साय कैबिनेट के विस्तार में राजेश अग्रवाल बने थे मंत्री

रायपुर: Raipur News, कैबिनेट मंत्री राजेश अग्रवाल के निज सहायक के रूप में तबरेज आलम की नियुक्ति 12वीं पास सर्टिफिकेट नहीं होने के कारण नहीं हो पाएगी। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने मंत्री राजेश अग्रवाल के विशेष सहायक को पत्र भेज जानकारी दी है।

दरअसल मंत्री द्वारा तबरेज आलम को अपनी निजी स्थापना में निज सहायक पद पर पदस्थ करने के लिए निर्देशित किया गया था। इस संबंध में सामान्य प्रशासन के द्वारा पत्राचार किया गया। जिसके अनुसार छत्तीसगढ़ सचिवालय सेवा भर्ती नियम के अनुसार सीधी भर्ती के तृतीय श्रेणी के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12वीं पास निश्चित है। जबकि तबरेज आलम की शैक्षणिक योग्यता आठवीं पास है। पत्र में लिखा गया इसीलिए तबरेज आलम को निज सहायक के पद पर उनकी पदस्थापना किया जाना संभव नहीं है।

साय कैबिनेट के विस्तार में राजेश अग्रवाल बने थे मंत्री

Raipur News, छत्तीसगढ़ में लंबे समय से चल रही मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों के बाद सीएम विष्णुदेव साय के मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ था। जिसमें तीन विधायक मंत्री पद की शपथ लिए थे। जिसमें अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल भी नए मंत्री पद की शपथ ले लिए थे। राजेश अग्रवाल भाजपा के वो विधायक हैं, जो सामान्य वर्ग से आते हैं। सरगुजा संभाग में इनकी राजनीतिक पकड़ काफी अच्छी है, ये विधानसभा चुनाव में पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को हराकर विधायक बने थे।

कांग्रेस के दिग्गज नेता टीएस सिंह देव को हराया

राजेश अग्रवाल पहले कांग्रेस पार्टी में थे। जो साल 2017 में बीजेपी में शामिल होकर साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता टीएस सिंह देव को हराया था। राजेश अग्रवाल के बीजेपी में जाने के बाद से ही मंत्री बनाने की अटकलें तेज हो गईं थी। करीब डेढ़ वर्ष के लंबे इंतजार के बाद उन्हें छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल में आखिरकर जगह मिल ही गई थी।

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