High Court gave a big decision in IPS Mukesh Gupta promotion case

IPS मुकेश गुप्ता को हाईकोर्ट ने दिया बड़ा झटका, मानी राज्य सरकार की ये बात

IPS Mukesh Gupta promotion case : आईपीएस मुकेश गुप्ता के प्रमोशन के मामले में हाईकोर्ट का फैसला आ गया है। हाईकोर्ट ने राज्य शासन की याचिका

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:14 PM IST, Published Date : September 28, 2022/2:33 pm IST

बिलासपुर : IPS Mukesh Gupta promotion case : आईपीएस मुकेश गुप्ता के प्रमोशन के मामले में हाईकोर्ट का फैसला आ गया है। हाईकोर्ट ने राज्य शासन की याचिका स्वीकार कर ली है। कैट जबलपुर के आदेश को कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। 2018 में मुकेश गुप्ता का एडीजी से डीजी पद पर प्रमोशन हुआ था। 2019 में राज्य शासन ने मुकेश गुप्ता के प्रमोशन को निरस्त कर दिया था। इसके बाद शासन के आर्डर को कैट ने निरस्त कर दिया था। हाईकोर्ट चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में मामला लगा था।

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हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला

IPS Mukesh Gupta promotion case :  दरअसल, आईपीएस मुकेश गुप्ता के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे आज सुनाया है। कोर्ट ने मुकेश गुप्ता के प्रमोशन को लेकर राज्य शासन की अपील पर सुनवाई की। इससे पहले भी निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता के प्रमोशन मामले में कैट के आदेश के खिलाफ राज्य शासन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। पेश याचिका में कैट के क्रियान्वयन आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी जिसमे हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी। इसमें आईपीएस मुकेश गुप्ता के पदस्थापना का आदेश दिया था।

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जानिए क्या है पूरा मामला

IPS Mukesh Gupta promotion case :  साल 2018 में मुकेश गुप्ता का प्रमोशन एडीजी से डीजी के तौर पर हुआ था। 2019 में राज्य शासन ने मुकेश गुप्ता के प्रमोशन को निरस्त कर दिया। शासन के इस निर्णय और ऑब्जरवेशन को चुनौती देते हुए गुप्ता ने कैट में याचिका लगाई। कैट ने सुनवाई के बाद मुकेश गुप्ता के पक्ष में निर्णय देते हुए पदस्थापना का आदेश सुनाया। इसके खिलाफ राज्य शासन ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका पेश की। मामले की सुनवाई के बाद 4 जुलाई को हाईकोर्ट ने कैट के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाइकोर्ट में 22 अगस्त से इस पर अंतिम बहस शुरू की गई। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में शासन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने बहस की। सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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