अनसोल्ड मकानों के बोझ तले दबा छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड, कोई लेने को तैयार नहीं 600 करोड़ की प्रॉपर्टी
अनसोल्ड मकानों के बोझ तले दबा छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड! Chhattisgarh Housing Board buried under the burden of unsold houses
CGHB
रायपुर: Chhattisgarh Housing Board आम लोगों को सस्ते मकान बना कर राहत देने वाला छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड अब खुद अनसोल्ड मकानों के बोझ तले दबा हुआ है। उसकी करीब साढ़े 600 करोड़ की प्रॉपर्टी को लेने को कोई तैयार नहीं है। इन मकान और दुकानों को बेचने को लिए हाउसिंग बोर्ड ने कीमत में 15 से 20 फीसदी की कटौती कर दी, फिर भी इसके खरीददार नहीं मिल रहे हैं। आशंका तो इसकी भी पैदा होने लगी है कि कहीं बोर्ड की ये प्रॉपर्टी खंडहर बन कर मिट्टी के मोल ना हो जाए।
Chhattisgarh Housing Board रायपुर के बोरियाकला में बनी ये मल्टीस्टोरी बिल्डिंग छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों-पदाधिकारियों के कुप्रबंधन का बेमिसाल उदाहरण है। जब न कोई बुकिंग आ रही थी, और न ही डिमांड को लेकर कोई पुख्ता सर्वे रिपोर्ट थी, फिर भी हाउसिंग बोर्ड ने सैकड़ों, हजारों की संख्या में फ्लैट तान दिया। बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष का आरोप है कि भाजपा काल के पदाधिकारियों ने कमीशन की खातिर अनाप शनाप प्रॉपर्टी बनवाई, जो आज बोझ बन गई है।
हालात ये है कि पूरे प्रदेश में हाउसिंग बोर्ड के करीब 650 करोड़ की संपत्ति बिना बिके यूं ही पड़ी है। आज जब रायपुर के चारों ओर प्राइवेट बिल्डर के प्रोजेक्ट की कीमतें आसमान छू रही हैं, तो हाउसिंग बोर्ड के सैकड़ों करोड़ के फ्लैट्स और दुकानें बिक नहीं रही। हाउसिंग बोर्ड ने इन अनसोल्ड प्रॉपर्टी की 15 से 20 फीसदी तक कम कर दिए, फिर भी लोग दिलचस्पी नहीं दिखा रहे।
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अनसोल्ड प्रॉपर्टी को बेचने के लिए बाकायदा बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव पारित कर पांच से सात सालों का ब्याज पूरी तरह हटा दिया गया। बेस प्राइस पर इन्हें बेचने की हरी झंडी दी गई, लेकिन तब भी खरीददार नहीं मिल रहे। पिछले अक्टूबर महीने से लेकर अब तक केवल 20 करोड़ की डिस्काउंट वाली प्रॉपर्टी ही बिकी है। इसमें अकेले रायपुर परिक्षेत्र का ही 13 करोड़ है। दुविधा ये है कि इससे और ज्यादा रेट कम करने पर ऑडिट आपत्ति आ जाएगी, और अगर रेट कम नहीं हुए तो इन्हें खंडहर बनते देर नहीं लगेगी।
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