छत्तीसगढ़ में शराबबंदी के मुद्दे पर लगातार सियासत! प्रदेश में शराबबंदी की नहीं.. नशाबंदी की जरूरत?

Continuous politics on the issue of prohibition in Chhattisgarh शराबबंदी को लेकर जब-जब कांग्रेस की तरफ से इनकार होता है.. भाजपा उसे गंगाजल हाथ में लेकर किया गया वादा याद दिला देती है...

छत्तीसगढ़ में शराबबंदी के मुद्दे पर लगातार सियासत! प्रदेश में शराबबंदी की नहीं.. नशाबंदी की जरूरत?

Continuous politics on the issue of prohibition in Chhattisgarh

Modified Date: June 7, 2023 / 11:56 pm IST
Published Date: June 7, 2023 11:56 pm IST

Continuous politics on the issue of prohibition in Chhattisgarh

रायपुर। छत्तीसगढ़ में शराबबंदी के मुद्दे पर लगातार सियासत जारी है… चुनावों से पहले ये तकरार बढ़ती जा रही है… इस मुद्दे पर सीएम भूपेश बघेल ने फिर कहा कि शराबबंदी का आदेश देने से पहले इसके असर को सोचना होगा। प्रदेश में शराबबंदी की नहीं, नशाबंदी की जरूरत है। सीएम भूपेश के बयान पर भाजपा नेताओं ने वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। तो ऐसे में सवाल यही है कि क्या छत्तीसगढ़ में चुनावों से पहले शराबबंदी हो पाएगी। और इस मुद्दे का आने वाले चुनावों पर कितना असर पड़ेगा। और क्या शराबबंदी के शोर में… नशाबंदी का जोर चल पाएगा ?

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छत्तीसगढ़ में जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं.. शराबबंदी को लेकर सियासी तकरार बढ़ रही है.. सियासी और सामाजिक समीकरणों में ये मुद्दा ऐसा उलझा है कि फैसला दूर दिख रहा है.. शराबबंदी को लेकर एक बार फिर सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि.. ऐसा नहीं है जो हमने कहा उसे कर ही देना है.. ऐसा काम नहीं करूंगा, जिससे किसी की जान चली जाए। शराबबंदी का आदेश देने में समय नहीं लगेगा.. लेकिन इसके असर को सोचना होगा। सीएम ने कहा कि प्रदेश में शराबबंदी नहीं, नशाबंदी हो।

शराबबंदी को लेकर जब-जब कांग्रेस की तरफ से इनकार होता है.. भाजपा उसे गंगाजल हाथ में लेकर किया गया वादा याद दिला देती है…

जब से छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार आई है.. सदन से लेकर सड़क तक विरोध के हर मौके पर बीजेपी ने शराबबंदी के इनकार पर कांग्रेस को घेरने की कोशिश की है… सवाल ये भी है कि बढ़ते अपराध के पीछे नशा एक बड़ा कारण है.. जबकि सरकार के मंत्री कवासी लखमा खुद शराबबंदी की खिलाफत कर चुके हैं.. ऐसे में चुनावों से पहले ये मुद्दा और अहम हो जाता है.. जाहिर है शराब बिक्री से एक बड़ा रेवेन्यू मिलता है। इस कारण सरकारों के लिए ये फैसला आसान नहीं होता। लेकिन चुनावों से पहले छत्तीसगढ़ में विधानसभा का मानसून सत्र बाकी है.. जिसमें शराबबंदी को लेकर कोई मास्टरस्ट्रोक सरकार खेल सकती है.. और अगर ये संभव नहीं हुआ..तो बीजेपी की चुनावी रणनीति में ये मुद्दा अहम होगा।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com