Chhattisgarh Naxalites Surrednder: पुलिस के एनकाउंटर का खौफ या डेडलाइन की दहशत?.. दंतेवाड़ा में 6 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, पढ़ें उनका नाम

भारत सरकार ने नक्सलवाद के खिलाफ दोतरफा रणनीति अपनाई है, जिसमें एक ओर सुरक्षा बलों द्वारा निरंतर अभियान चलाए जा रहे हैं और दूसरी ओर प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

Chhattisgarh Naxalites Surrednder: पुलिस के एनकाउंटर का खौफ या डेडलाइन की दहशत?.. दंतेवाड़ा में 6 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, पढ़ें उनका नाम

Chhattisgarh Naxalites Surrednder || Image- IBC24 News File

Modified Date: March 26, 2025 / 05:31 pm IST
Published Date: March 26, 2025 5:31 pm IST
HIGHLIGHTS
  • दंतेवाड़ा में 6 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
  • 3 इनामी नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया
  • सरकार की पुनर्वास नीति का असर

Chhattisgarh Naxalites Surrednder : दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ सरकार और पुलिस को नक्सलवाद के खिलाफ लगातार महत्वपूर्ण सफलताएँ मिल रही हैं। एक ओर जहां सुरक्षाबल घने जंगलों में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं, वहीं सरकार पुनर्वास नीति को अधिक आकर्षक बना रही है ताकि अधिक से अधिक नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।

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इसी कड़ी में दंतेवाड़ा में 6 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। उन्होंने एसपी गौरव राय के समक्ष अपने हथियार डाल दिए। आत्मसमर्पण करने वालों में 3 इनामी नक्सली शामिल हैं, जिन पर कुल 13 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

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इन्होंने किया आत्मसमर्पण

Chhattisgarh Naxalites Surrednder : महिला नक्सली शांति मण्डावी जो कंपनी नंबर छह की सदस्य थी, उस पर 8 लाख रुपये का इनाम था। इसके अलावा, सुखराम, जो उत्तर बस्तर सब-जोनल कमेटी का सदस्य था, उस पर 3 लाख रुपये का इनाम घोषित था। प्रकाश, जो सीएनएम अध्यक्ष के रूप में सक्रिय था, उस पर 2 लाख रुपये का इनाम रखा गया था।

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सरकार और पुलिस के इस प्रयास से नक्सली संगठन की शक्ति लगातार कमजोर हो रही है, और पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को मुख्यधारा से जोड़ने की प्रक्रिया तेज हो रही है।

गौरतलब है कि, देश में नक्सलियों के रेड कॉरिडोर की राजधानी माने जाने वाले दंडकारण्य में नक्सलियों की पकड़ लगातार कमजोर हो रही है। छत्तीसगढ़ सरकार बनने के बाद 13 महीनों में 380 नक्सली मारे गए हैं, 1194 नक्सली गिरफ्तार हुए हैं और 1045 ने आत्मसमर्पण किया है। नक्सल कैडर में नई भर्तियां पूरी तरह से बंद हो चुकी हैं। छत्तीसगढ़ पुलिस ने मार्च 2026 तक बस्तर को नक्सल मुक्त बनाने की रणनीति बनाई है और इस मिशन को तेज़ी से आगे बढ़ा रही है। केरल से बड़े छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के सातों जिलों में कभी नक्सलवाद चरम पर था, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं।

20 मार्च 2025 को बड़ा ऑपरेशन, एक ही दिन में 30 नक्सली ढेर

Chhattisgarh Naxalites Surrednder : 20 मार्च 2025 को बीजापुर के गंगालूर और नारायणपुर-कांकेर बॉर्डर पर हुए दो अलग-अलग ऑपरेशनों में 30 नक्सली मारे गए। ये दोनों इलाके ऐसे थे जहां आज भी सरकार की सीधी मौजूदगी नहीं थी, और नक्सलियों ने अपनी समानांतर सरकार बना रखी थी। लेकिन अब पुलिस जंगलों में घुसकर नक्सलियों का सफाया कर रही है। 2025 के पहले तीन महीनों में 97 नक्सली मारे गए हैं जबकि हर महीने औसतन 45 से अधिक नक्सली मारे जा रहे हैं।

2025 में अब तक हुई बड़ी मुठभेड़ें

तारीख जगह मारे गए नक्सली
4 जनवरी अबूझमाड़ के जंगल 5
9 जनवरी सुकमा-बीजापुर बॉर्डर 3
12 जनवरी बीजापुर, मद्देड़ इलाका 5
16 जनवरी तेलंगाना बॉर्डर, पुजारी कांकेर 12
21 जनवरी उड़ीसा बॉर्डर, गरियाबंद 27
1 फरवरी बीजापुर, गंगालूर 8
9 फरवरी बीजापुर, फरसेगढ़ 31
1 मार्च सुकमा, किस्टाराम 2
20 मार्च बीजापुर, गंगालूर 26
20 मार्च नारायणपुर-कांकेर बॉर्डर 4

 

सबसे बड़े ऑपरेशन के केंद्र गरियाबंद और बीजापुर

गरियाबंद जिला, जो नुआपाड़ा-गरियाबंद डिवीजन का हिस्सा था, लंबे समय से नक्सलियों के प्रभाव में था। 21 जनवरी 2025 को 27 नक्सली मारे जाने के बाद, बचे हुए नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। अब गरियाबंद लगभग नक्सल मुक्त हो चुका है। बीजापुर जिला, जिसे “नक्सली नर्सरी” कहा जाता था, सरकार के सबसे बड़े टारगेट पर है। 2025 में अब तक 75 नक्सली मारे गए हैं, जिससे उनकी पकड़ कमजोर पड़ रही है।

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पुलिस की रणनीति – दो तरफा हमला

Chhattisgarh Naxalites Surrednder : नक्सलियों के कमजोर जिलों पर दबाव बनाया जा रहा है जिससे गरियाबंद, कांकेर, धमतरी जैसे जिले जहां से नक्सली दूसरे क्षेत्रों में जाते हैं। वहीं मजबूत नक्सली गढ़ों पर फोकस किया जा रहा हैं बीजापुर, दंतेवाड़ा, अबूझमाड़, गंगालूर, जहां नक्सलियों का संगठित नेटवर्क बना हुआ है।

सिमट रहा देश से लाल आतंक

गृह मंत्रालय (एमएचए) ने बुधवार को राज्यसभा में बताया कि पिछले 14 वर्षों में नक्सली हिंसा में 81 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। 2010 में यह समस्या अपने चरम पर थी, जब देशभर में नक्सली हिंसा की 1,936 घटनाएं हुई थीं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 2024 में यह संख्या घटकर 374 रह गई है।

मंत्री के अनुसार, नक्सली हिंसा के कारण होने वाली मौतों में भी 85 प्रतिशत की कमी आई है। 2010 में जहां 1,005 लोग (नागरिक और सुरक्षा बल) मारे गए थे, वहीं 2024 में यह आंकड़ा घटकर 150 हो गया।

2019 में 501 घटनाएं, 2024 में 374

Chhattisgarh Naxalites Surrednder : वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी हिंसा में भी लगातार गिरावट दर्ज की गई है। 2019 में 501 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जो 2024 में 374 तक सिमट गईं, यानी पांच वर्षों में 25 प्रतिशत की कमी आई है। अन्य वर्षों में भी नक्सली घटनाओं में उतार-चढ़ाव देखने को मिला—2023 में 485, 2022 में 413, 2021 में 361 और 2020 में 470 मामले सामने आए थे।

बिहार में 2019 में 48 घटनाएं

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, झारखंड में नक्सली हिंसा में बड़ी गिरावट देखी गई है। 2019 में जहां 166 घटनाएं दर्ज की गई थीं, 2024 में यह संख्या घटकर 69 रह गई। बिहार में 2019 में 48 घटनाएं हुई थीं, जबकि 2024 में केवल दो मामले दर्ज किए गए। महाराष्ट्र में 2019 में 48 घटनाएं हुई थीं, जो 2024 में 10 तक आ गईं। ओडिशा में यह आंकड़ा 2019 में 34 से घटकर 2024 में 6 रह गया।

गृह मंत्रालय का कहना है कि नक्सलवाद से निपटने के लिए सरकार ने कई ठोस कदम उठाए हैं। 2015 में ‘राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना’ को मंजूरी दी गई थी, जिसके प्रभावी कार्यान्वयन से नक्सली हिंसा में लगातार गिरावट आई है।

Chhattisgarh Naxalites Surrednder : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक भारत से नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है। हाल ही में राज्यसभा में दिए बयान में उन्होंने कहा कि सरकार सुरक्षा अभियानों, विकास परियोजनाओं और मजबूत खुफिया तंत्र के माध्यम से वामपंथी उग्रवाद को पूरी तरह समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।

नक्सलवाद की शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी विद्रोह से हुई थी, जो माओवादी विचारधारा से प्रेरित एक किसान आंदोलन था। धीरे-धीरे यह छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र और बिहार सहित कई राज्यों में फैल गया, जिसे ‘रेड कॉरिडोर’ के नाम से जाना जाने लगा। इस उग्रवाद में गुरिल्ला युद्ध, सुरक्षा बलों पर हमले, बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाना और स्थानीय समुदायों से जबरन वसूली जैसे कृत्य शामिल थे, जिससे यह भारत के लिए एक प्रमुख आंतरिक सुरक्षा चुनौती बन गया।

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Chhattisgarh Naxalites Surrednder : भारत सरकार ने नक्सलवाद के खिलाफ दोतरफा रणनीति अपनाई है, जिसमें एक ओर सुरक्षा बलों द्वारा निरंतर अभियान चलाए जा रहे हैं और दूसरी ओर प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है। (ANI)


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

A journey of 10 years of extraordinary journalism.. a struggling experience, opportunity to work with big names like Dainik Bhaskar and Navbharat, priority given to public concerns, currently with IBC24 Raipur for three years, future journey unknown