Reported By: Devendra Mishra
,Maa Shanta Devi Mandir in Sihawa: धमतरी। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के सिहावा का ये पहाड़ अपनी कुदरती खूबसूरती के लिए तो मशहूर है ही, लेकिन ये जगह रूहानी एतबार से भी बेहद अहम मानी जाती है। इसी पहाड़ की ऊँचाई पर विराजमान हैं मां शांता देवी, जिनका दरबार लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। हर साल हज़ारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और मां के दर पर अपनी अर्ज़ सुनाते हैं। सिहावा पहाड़ का संबंध रामायणकाल से है, उस समय इस पहाड़ को महेंद्र गिरि पर्वत के नाम से जाना जाता था।
महेंद्र गिरि पर्वत में कई ऋषि मुनियों ने तपस्या की है। इनमें से शृंगी ऋषि का नाम श्रेष्ठ है, जिनके तप से अयोध्या के राजा दशरथ के घर भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न चारों भाई का जन्म हुआ था। राजा ने महर्षि शृंगी ऋषि को भगवान राम की बहन शांता को दान स्वरूप दिया। तब से महेंद्र गिरी पर्वत में एक छोर में माँ शांता तो दूसरे छोर में महर्षि श्रृंगी ऋषि विराजमान हैं। भगवान राम को जब वनवास हुआ तब श्री राम दण्डकारण्य के इसी महेन्द्र गिरी पर्वत में अपनी बहन माता शांता देवी से मिलने सिहावा आए थे और महर्षि श्रृंगी ऋषि का आशीर्वाद लेकर आगे बड़े थे। तब से माता शांता की महिमा इस क्षेत्र में है और अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाते आ रही है ।
मां शांता देवी से जुड़ी मान्यता है कि वो अयोध्या नरेश राजा दशरथ की बेटी और श्रीराम की बहन थीं, उनका विवाह ऋषि श्रृंग से हुआ और उन्होंने यही इलाक़ा अपनी तपोभूमि के तौर पर चुना। पहाड़ी पर बसा ये मंदिर अपने आप में एक जादू सा एहसास देता है। हरियाली से ढंके रास्ते, ताज़ा हवा और फिज़ा में फैली सुकून भरी ख़ामोशी दिल को छू जाती है। मंदिर तक जाने के लिए आज भी श्रद्धालुओं को सीधी ढलान पहाड़ी रास्ता पार करना पड़ता है। रास्ता आज भी आसान नहीं है, बालजूद लोगों की आस्था अड़चन राह का रोड़ा नहीं बन पाता। लोग रास्ते में जगह-जगह रुक कर लोग नजारे लेते हैं और दुआ मांगते हैं।
लगभग 500 मीटर बिना सीढ़ी वाली पर्वत चढ़कर श्रद्धालु जब मां शांता देवी के दरबार पहुंचते है और माँ के दर्शन से थकान मिट जाती है। लोग मां को प्रसन्न करने फूल, नारियल, चुनरी और मिठाई चढ़ाकर अपनी मनोकामना पूर्ति के किए पूजा अर्चना करते हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि मां का दरबार एक ऐसा मुकाम है, जहाँ लोगों की दुख-दर्द और तकलीफ़ दूर हो जाया करती है। ये जगह ना सिर्फ पूजनीय है, बल्कि क़ुदरत का नायब तोहफ़ा भी है।
खास मौकों पर जैसे नवरात्र, रामनवमी और सावन में यहां मेला जैसे माहौल रहता है। इस बार भी श्रद्धालु अपनी आस्था की ज्योति कलश माँ के दरबार में जलाई है। श्रद्धालुओं को कठिन रास्ता से गुजरना पड़ता है। इसलिए श्रद्धालु प्रशासन से रास्ता को पक्का करने पानी, रौशनी और आरामगाह जैसी सहूलियतें भी बढ़ाने की माँग किया जा रही है। ज़रूरी सुविधा बढ़ने से भक्तों को माँ के दरबार तक पहुँचने की दूरी कम हो जाएगी, जिससे आसानी से श्रद्धालु माँ के दर्शन कर पाएंगे ।