Reported By: Manoj Jaiswal
,Sidhi Ghoghra Chandi Devi Mandir: सीधी। सीधी में स्थित घोघरा चंडी देवी का मंदिर सम्राट अकबर के नौ रत्नों में शामिल बीरबल की जन्म स्थली के रूप में जाना जाता है। यह मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर सिहावल विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत गहिरा में घोघरा देवी सोन नदी के तट पर स्थित है, जो एक ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिरों में एकमात्र शुमार है। यह मंदिर मप्र पर्यटन विकास निगम में भी शुमार है। मंदिर पहाड़ों के बीच में ऊंचाई पर स्थित है, जो की अत्यधिक दुर्गम इलाका है। यह सम्राट अकबर के नवरात्रों में शुमार बीरबल की जन्म स्थली है। ऐसा माना जाता है कि, बीरबल को घोघरा की चंडी देवी के प्रताप से ही सम्राट अकबर के नौ रत्नों में शामिल होने का अवसर मिला था।
बीरबल को इसी मंदिर से मिला था बुद्धि का वरदान
बता दें कि, बीरबल एक चरवाहा था, जो बिल्कुल भी पढ़ा लिखा नहीं था और पूरे गांव के लोगों का बैल लेकर जंगलों में चराया करता था। बाद में इन्हीं घोघरा चंडी देवी माता का आशीर्वाद बीरबल को प्राप्त हुआ और बीरबल अत्यंत चतुर व बुद्धिमान बना। इन अलौकिक देवी के दर्शन के लिए बहुत दूर से लोग आया करते हैं। लोगों की ऐसी मान्यता है कि माता के दरबार में सबकी मनोकामना पूरी हो जाती है। चंडीदेवी का मंदिर 1500 ई. पूर्व का स्थापित है और यह आस्था का केंद्र है। इसी गांव के यादव परिवार में बीरबल का लालन पोषण हुआ था।
माता खुद स्वीकार कर लेती हैं बली
यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां लोगों द्वारा बकरा चढ़ाया जाता है, पर किसी व्यक्ति के द्वारा बकरे की बलि नहीं दी जाती बल्कि माता स्वयं बलि को स्वीकार कर लेती हैं, और किसी प्रकार से कोई खून खराबा नहीं होता है। वहीं, जब मंदिर के पुजारी वेदांती प्रसाद तिवारी से बात की गई उन्होंने बताया कि, यह बहुत पौराणिक वह आलोकिक मंदिर है, जहां पर देवी ने बीरबल को वरदान दिया था और आज अनवरत काल से लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो रही है। लोग बहुत दूर-दूर से माता के दर्शन के लिए प्रतिवर्ष यहां पहुंचते हैं। भक्त मनोकामना मांगते समय चुनरी में नारियल बांधकर मंदिर में लगा कर चले जाते हैं और मनोकामना पूरी होने के बाद आकर देवी मां को प्रसाद चढ़ाते है।