मुद्दों की गूंज…विवाद की आंच! विपक्ष के प्रश्नों का जवाब नहीं दे पाई सरकार, तो क्या रहा मानसून सत्र का सार?
विपक्ष के प्रश्नों का जवाब नहीं दे पाई सरकार, तो क्या रहा मानसून सत्र का सार? The government could not answer the questions of the opposition
रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र का आज समापन हो गया। 5 दिन का सत्र शराबबंदी, धर्मांतरण, रेत अवैध खनन, धान खरीदी केंद्रों में उठाव और खाद की कमी के मुद्दे पर शोर-शराबा से भरा रहा। इन मुद्दों पर पक्ष और विपक्ष के नेताओं में जमकर तकरार हुआ। सत्र के शुरुआती तीन दिन सदन में सिंहदेव और बृहस्पत विवाद ही छाया रहा। बचे हुए दो दिन में बीजेपी विधायकों ने कई अहम विषयों पर प्रश्नकाल, ध्यानाकर्षण, स्थगन प्रस्ताव, अशासकीय संकल्प और नियम 139 पर चर्चा कर राज्य सरकार को घेरने की कोशिश की, तो विपक्ष के हंगामे के बीच राज्य सरकार ने चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज अधिग्रहण संबंधी विधेयक पारित करा लिया।
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सत्र के समापन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बीजेपी विधायकों के प्रदर्शन को देखकर लगा कि डी पुरंदेश्वरी के हंटर का असर हुआ है। वहीं बीजेपी ने आरोप लगाया कि पूरे सत्र में सरकार विपक्ष के प्रश्नों का जवाब नहीं दे पाई, तो क्या रहा मानसून सत्र का सार?
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5 दिनों का सत्र और हंगामा अनलिमिटेड
छत्तीसगढ़ विधानसभा का पूरा मानसून सत्र पक्ष और विपक्ष के टकराव की भेंट चढ़ गया। पहले दो दिनों तक सदन बृहस्पत-सिंहदेव विवाद पर गरमाया। विधानसभा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि सत्तापक्ष का कोई मंत्री सदन से वॉकआउट किया हो। तीसरे दिन की शुरुआत भी हंगामे के साथ हुआ। शराबबंदी और धर्मांतरण के मुद्दे पर सरकार के जवाब से बीजेपी विधायक असंतुष्ट होकर सदन छोड़कर बाहर निकल गए। हालांकि जबरदस्त शोर के बीच ही सरकार ने 2 हजार 485 करोड़ से ज्यादा का अनुपूरक बजट पास करा लिया।
मानसून सत्र का चौथा दिन धान संग्रहण केंद्रों में धान का उठाव नहीं होने के मुद्दे पर गरमाया। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने मामला उठाकर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत को घेरा। इस पर मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि संग्रहण केंद्रों से धान का उठाव नियमित किया जा रहा है। खाद्यमंत्री के बयान से असंतुष्ट होकर बीजेपी विधायकों ने सदन में की नारेबाज़ी करते हुए सदन से वॉकआउट किया।
सत्र के आखिरी दिन विपक्ष ने रेत के अवैध खनन का मुद्दा उठाकर सरकार को जमकर घेरा। बीजपी विधायकों ने मामले में स्थगन प्रस्ताव देकर चर्चा कराने की मांग की। सदन में शराबबंदी को लेकर अशासकीय संकल्प पर भी चर्चा हुई। बीजेपी विधायक शिवरतन शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार शराबबंदी करना छोड़ समिति बना दी है, जिस पर मंत्री अकबर ने जवाब दिया कि समिति के सुझाव पर ही निर्णय लिया जाएगा।
कुल मिलाकर इस बार का मानसून सत्र भले 5 दिन का रहा, लेकिन हंगामेदार रहा। इन हंगामों के बीच राज्य सरकार ने इस सत्र में चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज विधेयक पारित करा लिया। ढाई साल में पहली बार 5 दिन के सत्र में बीजपी विधायकों ने तीन बार धर्मांतरण, शराबबंदी और सीसीएमसी संशोधन विधेयक प्रस्ताव पर मत विभाजन कराया।

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