Guru Ghasidas University to become Biodiversity Hub of Central India

GGU: मध्य भारत की बायोडायवर्सिटी हब बनेगी ये यूनिवर्सिटी, हाईटेक प्रजाति के बांस का हुआ पौधरोपण

Central University Bilaspur: गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) में आज सुबह 11 बजे वानिकी, वन्यजीव एवं पर्यावरण विज्ञान...

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:35 PM IST, Published Date : October 19, 2022/7:07 pm IST

बिलासपुर। Central University Bilaspur: गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) में आज सुबह 11 बजे वानिकी, वन्यजीव एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग ने वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग छत्तीसगढ़ शासन के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय में निर्माणाधीन आईटी के विभागों के भवनों के समीप हाईटेक बांस पौधारोपण कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। उद्घाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल रहे। इस दौरान अतिथियों ने बांस के पौधों का रोपण किया। इसके पश्चात नन्हें पौधे से अतिथियों का स्वागत किया गया। इसके बाद अतिथियों ने शिलालेख पट्टिका का अनावरण किया।

इस दौरान कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि कार्बन फुटप्रिंट को कम करने एवं बायो डायवर्सिटी सुदृढ़ बनाने की जिम्मेदारी हमारी है। जल, जंगल, जमीन, जलवायु और जानवर हमारी धरोधर हैं जिन्हें संरक्षित करके हम समृद्धि के मार्ग को प्रशस्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि विश्वविद्यालय के मास्टर प्लान में पूर्व निर्धारित क्षेत्र के अतिरिक्त वर्टिकल एक्सपेंशन किया जाये जिससे ज्यादा से ज्यादा वनक्षेत्र विकसित एवं सुरक्षित किया जा सके।

विशिष्ट अतिथि श्री कुमार निशांत (आईएफएस) डीएफओ, बिलासपुर ने कहा कि इस परियोजना पर पिछले पांच-छह महीनों से निरंतर कार्य जारी है। वानिकी विभाग के शिक्षक एवं वन विभाग दोनों मिलकर इस बैंबू प्लांटेशन के लिए प्रयास कर रहे हैं जिसमें आज हमें सफलता प्राप्त हुई है। यह परियोजना अगले चार वर्ष तक जारी रहेगी जिसमें हमें इसे आदर्श बांस पौधारोपण क्षेत्र के लिए विकसित करना है। बता दें कि बैंबू प्लांटेशन का संपूर्ण रखरखाव वन विभाग द्वारा किया जाएगा। इसे प्रदेश के आदर्श बैंबू प्लांटेशन एरिया के रूप में विकसित किया जाएगा।

इस अवसर पर श्री कुमार ने आश्वासन दिया कि प्रदेश के विभिन्न पांच वनक्षेत्रों में शोधार्थियों को शोध कार्यों के संपादन के लिए संस्थान भी प्रदान किये जाने के लिए प्रस्ताव जल्द ही भेजा जाएगा। बांस की जिन चार प्रजातियों का रोपण किया गया उनमें बेंबूसा टूल्डा, बेंबूसा बालकोआ, बेंबूसा म्यूटेंस एवं बेंबूसा वेट्रीकोआ शामिल हैं।

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इससे पूर्व डॉ. भावना दीक्षित ने परियोजना से जुड़े विभिन्न तकनीकी पहलूओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। कुलसचिव प्रो. मनीष श्रीवास्तव सहित प्राकृतिक संसाधन विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. एस.एस. सिंह, वानिकी, वन्य जीव एवं पर्यावरण विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. के.के. चंद्रा एवं वन विभाग के एसडीओ सुनील बच्चन ने अपने विचार विचार व्यक्त किये। छात्रों ने विभिन्न बैंबू आर्ट का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. भावना दीक्षित एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. गुंजन पाटिल सहायक प्राध्यापक वानिकी, वन्य जीव एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग ने किया। इस परियोजना की मुख्य अन्वेषक डॉ. भावना दीक्षित एवं डॉ. गुंजन पाटिल हैं।