CM पद के कितने दावेदार…रमन सिंह ने खुद को बताया दावेदार…क्या हाईकमान ने उन्हें भरोसा दिया है?
CM पद के कितने दावेदार...रमन सिंह ने खुद को बताया दावेदार... How many contenders for the post of CM...Raman Singh told himself as a claimant...Has the high command given him confidence?
रायपुर: पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की करारी हार के बाद कहा गया कि कार्यकर्ताओं में बड़े नेताओं को लेकर असंतोष था, लिहाजा प्रदेश प्रभारी बनने के बाद डी पुरंदेश्वरी ने पहले दिन से पार्टी को एकजुट करने में ताकत झोंक दी। आगामी चुनाव में ढाई साल से भी कम का वक्त बचा है, लेकिन हाईकमान ने किसी को पार्टी का सर्वमान्य चेहरा नहीं बनाया है। दूसरी ओर प्रदेश प्रभारी ने ये भी साफ कर दिया है बीजेपी अगला चुनाव सीएम के चेहरे पर नहीं बल्कि विकास के मुद्दे पर लड़ेगी। इन सबके बीच पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह बयान देते हैं कि पार्टी में मुख्यमंत्री पद के लिए कई चेहरे हैं। अब सवाल ये है कि क्यों 15 साल तक सीएम रहे डॉ रमन ने खुद को दावेदार बताया? क्या हाईकमान ने उन्हें कोई भरोसा दिया है? या ये हाईकमान पर दबाव डालने की रणनीति है?
ये ऐसे सवाल हैं, जो इन दिनों छत्तीसगढ़ की सियासी गलियारों में सुर्खियां बनी हुई है। दरअसल इन बातों ने तब और तूल पकड़ी जब प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने 2023 का चुनाव चेहरे के बजाए विकास पर लड़ने की बात कही थी। प्रदेश प्रभारी के इस बयान के बाद कई खेमों में बंटे बीजेपी नेता अपने-अपने स्तरों से अपनी मौजूदगी का एहसास कराने में जुटे हैं, तो दूसरी ओर बीजेपी हाईकमान भी सर्वे और दूसरे माध्यमों से 2023 के चुनाव के लिए चेहरे की तलाश में जुटी है। पार्टी के अंदरूनी सर्वे के बीच पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने सीएम के चेहरे वाले सवाल पर कहा कि बीजेपी के पास बहुत से चेहरे हैं, उसमें एक चेहरा मेरा भी है।
रमन सिंह के इस बयान का बीजेपी की अंदरूनी सियासत पर क्या असर पड़ेगा। ये बड़ा सवाल है, क्योंकि पार्टी में ओबीसी-एसटी और एससी वर्ग के नेता अपनी बिरादरी से ही मुख्यमंत्री की मांग कई बार कर चुके हैं। जाहिर है 2023 में सत्ता वापसी के लिए बीजेपी को कई स्तरों पर संघर्ष करना होगा। पहला पार्टी को 14 सीट से बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा 46 सीट तक ले जाना होगा। बहुमत किसके चेहरे और किस आधार पर मिलेंगे? दूसरा कांग्रेस सरकार का चेहरा आज किसान हितैषी सरकार के रूप में काम कर रही है। इसका बीजेपी के पास क्या तोड़ है ? बीजेपी की इन सभी चुनौतियों के बीच कांग्रेस पुरजोर तरीके से 2023 चुनाव के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है। रमन सिंह का बयान सामने आने के बाद कांग्रेस को जरूर बीजेपी पर तंज कसने का मौका मिल गया है।
सत्ता गंवाने के बाद से छत्तीसगढ़ बीजेपी में कई धड़े में बिखरने की खबरें आती रहती है। वहीं बीजेपी में कोई एक चेहरा नहीं है, जिसे पार्टी के अंदर ही सर्वमान्य स्वीकार किया जाए। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा है कि बीजेपी हाईकमान आगामी 2023 के चुनाव में 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी सीटिंग सांसदों की टिकट काटने वाले दांव खेल सकती है। लेकिन इसके लिये नए चेहरों को मौका देकर वर्तमान चर्चित चेहरों को मार्गदर्शक मंडल में भेजनी होगी। बहरहाल रमन सिंह के बयान के बाद हाईकमान क्या रियक्शन देता है। ये बड़ा सवाल है।
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