Bharatmala Project | Photo Credit: IBC24
रायपुर: Bharatmala Project एक समय था जब गुगल पर आप यह शब्द लिखते तो स्क्रीन पर चमचमाती हुई चौड़ी सड़कों की तस्वीरें सामने आ जाती थी, लेकिन छत्तीसगढ़ के राज्सव विभाग के अधिकारियों ने भूमाफियाओं,दलालों, भ्रष्ट कारोबारियों और कुछ किसानों के साथ मिलाकर इस योजना में इतना बड़ा मुआवजा घोटला और भष्ट्राचार किया है की अब भारतमाला का नाम सुनते या गुगल में सर्च करते ही घोटाले की तस्वीर सामने आ जाती है। मगर इस घोटाले में एक नया मोड़ आ गया है और शुरू हो गई है राजनीति।
Bharatmala Project भारतमाला परियोजना- देश को जोड़ने वाली केंद्र की इस महत्वकांक्षी योजना में छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने ऐसा पलीता लगाया की प्रदेश का नाम देश में बदनाम हो रहा है। भारतमाला परियोजना एक एसी परियोजना बन गई है जो छत्तीसगढ़ में विकास से ज्यादा घोटाले का पर्याय बन चुकी है..घोटाले में शामिल एक पटवारी की आत्महत्या के बाद जहां राज़ और गहरा गया है वहीं विपक्ष को आरोप लगाने का एक मौका मिल गया है।
दरअसल भारतमाला प्रोजेक्ट के फर्जीवाड़े में निलंबित व नामजद पटवारी सुरेश मिश्रा ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली है। सुसाइड नोट में पटवारी ने खुद को बेगुनाह बताया तो वही आरआई, कोटवार और गांव के एक अन्य पर गड़बड़ी करने का जिक्र किया है। एक पत्र में पटवारी ने खुद को निर्दोष बताते हुए अपनी बहाली के लिए कलेक्टर से निवेदन किया है। बताया जा रहा है, पटवारी का चार दिन बाद रिटायरमेंट था। पुलिस ने मामले में मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है। इधर आईबीसी 24 द्वारा इस घोटाले को उजागर करने के बाद eow ने इसकी जांच शुरु कर दी है। वहीं इस पुरे मामले में सियासत भी शुरू हो गइ है। आरोपी पटवारी के सुसाइड केस में पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा भारतमाला प्रोजेक्ट में बड़े अधिकारी शामिल हैं पटवारी के आत्महत्या की जांच होनी चाहिए वही कांग्रेस के तंज पर मंत्री केदार कश्यप ने कहा CBI बैन करने वाले किस मुंह से जांच की मांग कर रहे है।
भारतमाला प्रोजेक्ट पर प्रदेश में जमकर राजनीती हो रही है। घोटला कांग्रेस के कार्यकाल में हुआ है। लेकिन भाजपा सरकार में भी इस पर कार्रवाई होते नहीं दिख रही है। कुल मिलाकर सवाल, आरोप और वार-पटलवार का अंधड़ चल पड़ा है। इस अंधड़ के बीच असल सवाल ये है कि क्या भारतमाला घोटाले का पूरा सच कभी सामने आ पाएगा?