Kawardha News: प्यार में लांघ दीं सीमाएं!… पति ने पत्नी के लिए किया ऐसा काम, जानकार आप भी हो जाएंगे हैरान

कवर्धा के एक छोटे से गांव नगवाही में, एक पति अपने जीवन का हर पल अपनी बीमार पत्नी के नाम कर चुका है। थायराइड कैंसर से जूझ रही पत्नी अब चल नहीं सकती और वो उन्हें मोटरसाइकिल के लकड़ी के तख्ते पर लिटाकर दूर-दराज के अस्पतालों तक लेकर जाते हैं।

Kawardha News: प्यार में लांघ दीं सीमाएं!… पति ने पत्नी के लिए किया ऐसा काम, जानकार आप भी हो जाएंगे हैरान

Kawardha News / Image Source: IBC24

Modified Date: November 11, 2025 / 04:44 pm IST
Published Date: November 11, 2025 4:29 pm IST
HIGHLIGHTS
  • पत्नी के इलाज के लिए मोटरसाइकिल पर सैकड़ों किलोमीटर की यात्राएं की।
  • उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने मदद कर पत्नी को जिला अस्पताल में भर्ती कराया।
  • परिवार ने जेवर, बर्तन और अनाज तक बेच दिए, लेकिन इलाज अधूरा रह गया।

Kawardha News: कवर्धा: कवर्धा जिले के रेंगाखार जंगल के नगवाही गांव से एक मार्मिक और कहानी सामने आई है। 65 वर्षीय समलू सिंह मरकाम अपनी बीमार पत्नी कपूरा मरकाम के लिए पिछले तीन सालों से आशा और संघर्ष की अनोखी यात्रा पर हैं। कपूरा को थायराइड कैंसर है और उसकी हालत इतनी गंभीर है कि वो चल-फिर नहीं सकती। समलू का संघर्ष ये दर्शाता है कि पति-पत्नी के बीच निभाई जाने वाली सात वचनों की ताकत केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कर्मों में भी दिखाई देती है। वो अपने परिवार और रिश्तों के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं ताकि उनकी पत्नी को सही इलाज मिल सके।

मोटरसाइकिल पर हजारों किलोमीटर का सफर

समलू अपनी पत्नी को इलाज के लिए दुर्ग, रायपुर, गोंदिया, बैतूल और मुंबई तक ले गए लेकिन आर्थिक तंगी और संसाधनों की कमी ने उनके रास्ते में कई बाधाएं खड़ी कर दीं। घर के जेवरात, बर्तन, अनाज तक बेच दिए गए, और करीब 5-6 लाख रुपए खर्च करने के बाद भी इलाज अधूरा रह गया। अब समलू ने अपनी मोटरसाइकिल पर लकड़ी का छोटा प्लेटफॉर्म भी बना लिया है। पत्नी को उस पर लिटाकर रस्सी से बांधकर वो खुद बाइक चलाते हुए 300-500 किलोमीटर तक के सफर पर निकल जाते हैं। हर सफर में बस एक ही उम्मीद रहती है कि कहीं न कहीं उनकी पत्नी का इलाज होगा और वो ठीक हो पाएंगी।

हर जगह करना पड़ा संघर्ष

समलू बताते हैं कि उनकी पत्नी चल नहीं सकती, इसलिए नहलाना, खिलाना, मालिश करना जैसे सारे काम उन्हें ही करने पड़ते हैं। गांव वाले कहते हैं कि ऐसा समर्पण और प्यार अब फिल्मों में भी नहीं दिखाई देता। मुंबई के डॉक्टर ने भी उन्हें बुलाया था लेकिन सफर और किराया जुटाना संभव नहीं हो सका। वो कहते हैं, “जो भी कहता है यहां इलाज होगा, वहां लेकर चला जाता हूं। मेरी पत्नी की एक मुस्कान ही मेरी पूरी दुनिया है।”

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उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने की थी मदद

कुछ दिन पहले उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने उनकी मदद करते हुए जिला अस्पताल में उनकी पत्नी को भर्ती कराया और 10 हजार रुपए की मदद दी लेकिन तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें वापस गांव लौटना पड़ा। समलू की कहानी केवल एक व्यक्ति का संघर्ष नहीं है, बल्कि ये हर उस परिवार की कहानी है जो बीमार प्रियजन के इलाज के लिए लड़ता है। उनकी उम्मीद यही है कि कोई उन्हें वास्तविक मदद दे ताकि उनकी पत्नी फिर से अपने पैरों पर खड़ी होकर चल सकें।

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