This tradition is still going on for centuries in this temple of Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ के इन दो मंदिरों में सदियों से चली आ रही ये परंपरा, मान्यता ऐसी की आप भी पहुंच जाएंगे माता के दरबार

छत्तीसगढ़ के इन दो मंदिरों में सदियों से चली आ रही ये परंपरा, मान्यता ऐसी की आप भी पहुंच जाएंगे माता के दरबार This tradition is still going on for centuries in this temple of Chhattisgarh

Edited By :   Modified Date:  March 29, 2023 / 05:28 PM IST, Published Date : March 29, 2023/5:26 pm IST

कवर्धा।  भारत में कलकत्ता के बाद छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा और कवर्धा में ही खप्पर निकालने की परंपरा रही है, लेकिन अब यह परपंरा देशभर में केवल कवर्धा में जारी है। दरअसल, कवर्धा में तीन देवी मंदिरों से खप्पर निकालने की परंपरा वर्षों से है। दो सिद्धपीठ मंदिर और एक देवी मंदिर से परम्परानुसार खप्पर निकाला जाता है, लेकिन चैत्र नवरात्र में सिर्फ चंडी मंदिर और परमेश्वरी मंदिर से खप्पर निकालने की परंपरा है।

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भारत वर्ष में देवी मंदिरों से खप्पर निकालने की परंपरा वर्षों पुरानी है। धार्मिक आपदाओं से मुक्ति दिलाने व नगर मेंं विराजमान देवी-देवताओं का रीति रिवाज के अनुरूप मान मनव्वल कर सर्वे भवन्तु सुखिन: की भावना स्थापित करना है। कवर्धा में प्रत्येक शारदीय व चैत्र नवरात्रि पक्ष के अष्टमी के मध्य रात्रि ठीक 12 बजे दैविक शक्ति से प्रभावित होते ही समीपस्थ बह रही सकरी नदी के नियत घाट पर स्नान के बाद द्रुतगति से पुन: वापस आकर स्थापित आदिशक्ति देवी की मूर्ति के समक्ष बैठकर उपस्थित पंडों से श्रृंगार करवाया जाता है। माता की सेवा में लगे पण्डों द्वारा परंपरानुसार 07 काल 182 देवी-देवता और 151 वीर बैतालों की मंत्रोच्चारणों के साथ आमंत्रित कर अग्नि से प्रज्जवलित मिट्टी के पात्र(खप्पर) में विराजमान किया जाता है। उसके बाद 108 नीबू काटकर रस्में पूरी की जाती है फिर माता की खप्पर मंदिर से निकाली जाती है।

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खप्पर की वेशभूषा वीर रूपी एक अगुवान भी निकलता है, जो दाहिने हाथ में तलवार लेकर खप्पर के लिए रास्ता साफ करता है। मान्यता है कि खप्पर के मार्ग अवरूद्ध होने पर तलवार से वार करता है। खप्पर के पीछे-पीछे पण्डों का एक दल पूजा अर्चना करते हुए साथ रहता है,ताकि शांति बनी रहे। आज अष्टमी को नगर के सिद्धपीठ चंडी मंदिर और एक आदिशक्ति परमेश्वरी देवी मंदिर से परम्परानुसार खप्पर निकलेगी। मध्यरात्रि 12.20 बजे खप्पर अगुवान की सुरक्षा में निकलेगी और खप्पर नगर भ्रमण को निकलेगी। विभिन्न मार्गों से गुरजते हुए मोहल्लों में स्थापित 18 मंदिरों के देवी-देवताओं का विधिवत आह्वान किया जाता है।

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अष्टमी की रात्रि शहर में मेला का माहौल रहता है और खप्पर देखने के लिए स्थानीय के अलावा गावों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते है। इसके अलावा रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, दुर्ग, मुंगेली और मंडला जैसे अन्य जिलों से भी लोग खप्पर देखने के लिए पहुंचते हैं। जहा अलग अलग जगहों में खप्पर का दर्शन करने हजारों की संख्या में लोगो की भीड़ एकत्र होती है। वहीं सुरक्षा के लिहाज से बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया जाता है। IBC24 से सूर्यप्रकाश चन्द्रवंशी  

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